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________________ ५६८ प्रमेयकमलमार्तण्डे "अन्यदेवेन्द्रियग्राह्यमन्यच्छब्दस्य गोचरः। शब्दात्प्रत्येति भिन्नाक्षो न तु प्रत्यक्षमीक्षते ॥१॥" [ ] "अन्यथैवाग्निसम्बन्धाद्दाहं दग्धोभिमन्यते । अन्यथा दाहशब्देन दाहार्थः सम्प्रतीयते ॥" [ वाक्यप० २।४।२५ ] इत्यादि । सामग्रीभेदाद्विशदेतरप्रतिभासभेदो न पुनविषयभेदात्, सामान्यविशेषात्मकार्थविषयतया सकलप्रमाणानां तभेदाभावादित्यग्रेवक्ष्यमाणत्वात् । ततो 'यो यत्कृते प्रत्यये न प्रतिभासते' इत्यादिप्रयोगे हेतुरसिद्धः; सामान्य विशेषात्मार्थलक्षणस्वलक्षणस्य शाब्दप्रत्यये प्रतिभासनात् । मानना भी आवश्यक है । इसलिये निम्नलिखित कथन निराकृत हुमा समझना चाहिए कि-इन्द्रिय द्वारा ग्राह्य होने वाला पदार्थ अन्य है और शब्द के गोचर पदार्थ कोई अन्य ही है, क्योंकि अन्धपुरुष शब्द से तो पदार्थ को जान लेता है किन्तु उसको प्रत्यक्ष देख नहीं सकता, अत: निश्चय होता है कि शब्द के गोचर पदार्थ कोई अन्य ही है ।।१।। अग्नि के सम्बन्ध से दग्ध हुअा पुरुष स्पर्शनेन्द्रिय द्वारा उस अग्नि को अन्य प्रकार से ( स्पष्ट रूप से ) जानता है, और वही पुरुष यदि अग्नि शब्द द्वारा अग्नि को जानता है तो किसी अन्य प्रकार से ( अस्पष्ट रूप से ) जानता है इत्यादि । __यह समझना आवश्यक है कि विशदप्रतिभास और अविशदप्रतिभास सामग्री के भेद से होता है न कि विषयभूत पदार्थ के भेद से, क्योंकि प्रत्यक्ष प्रमाण हो चाहे अनुमान प्रमाण हो अथवा अन्य शब्दज प्रमाणादि हो, सभी प्रमाणों का विषय सामान्य विशेषात्मक एक ही पदार्थ है । प्रमाणों के विषय में भेद नहीं है इसको आगे ( तृतीय भाग में ) सिद्ध करने वाले हैं। इसलिये पहले बौद्ध ने जो कहा था कि"जो जिसके द्वारा किये हुए ज्ञान में प्रतीत नहीं होता वह उसका विषय नहीं होता" इत्यादि सो उक्त अनुमान का हेतु ( शब्दज ज्ञान में स्वलक्षण प्रतीत नहीं होना रूप हेतु ) असिद्ध है, क्योंकि शाब्दिक ज्ञान में सामान्यविशेषात्मक स्वभाव वाला स्वलक्षण प्रतिभासित होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001277
Book TitlePramey Kamal Marttand Part 2
Original Sutra AuthorPrabhachandracharya
AuthorJinmati Mata
PublisherLala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year
Total Pages698
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size15 MB
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