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[ ३१ ] विषय
पृष्ठ प्रकरण प्रादिसे जो गम्य है, जिसमें पदांतरकी अपेक्षा है तथा प्रकरण-बाह्य पदकी अपेक्षासे रहित ऐसे पद मात्रको भी वाक्य कहते हैं....
६०५ कोई धातुक्रिया पद को ही वाक्य मानते हैं, कोई वर्ण संघातको इत्यादि, किन्तु यह ठीक नहीं.... ६०६ मीमांसक प्रभाकर-पदके अर्थ के प्रतिपादन पूर्वक वाक्यके अर्थका अवबोध कराने वाला पद ही वाक्य है....
६०६ वाक्य लक्षणका निश्चय होनेके अनंतर वाक्यके अर्थ पर विचार प्रारंभ होता है.... भाट्टका अभिहित अन्वयवाद रूप वाक्यार्थ भी अयुक्त है....
६१६ वाक्य के दो भेद हैं द्रव्य वाक्य और भाववाक्य.... सारांश
६१६-६२० उपसंहार
६२१ प्रशस्ति
६२२ परीक्षामुख सूत्र पाठः
६२३-६२८ विशिष्ट शब्दावली
६२६ भारतीय दर्शनों का अति संक्षिप्त परिचय
६३६ शुद्धि पत्र
६४६
६१८
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