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________________ परीक्षामुख सूत्र ६५५ सन्निकर्ष – पदार्थ के छूनेको सन्निकर्ष कहते हैं, चक्षु आदि सभी इन्द्रियां पदार्थों को छूकर ज्ञान कराती हैं ऐसा वैशेषिकका कहना है । इन्द्रियों द्वारा पदार्थोंका जो छूना है वह सन्निकर्ष है और वही प्रमाण है ऐसा वैशेषिकके प्रमाणका लक्षण है । संवाद प्रत्यय - अपने पूर्ववर्ती ज्ञानका समर्थन करनेवाला ज्ञान । स्मृतिप्रमोष - स्मृतिका नहीं होना, नष्ट होना स्मृति प्रमोष है, प्रभाकर ( मीमांसक ) विपर्यय ज्ञानको स्मृति प्रमोष रूप मानते हैं । साकार ज्ञानवाद - ज्ञान पदार्थके आकार होता है, जो साकार ज्ञान है वही प्रमाणभूत है ऐसा बौद्ध कहते हैं । सव्येतर गोविषारण - गायके दांये बांये सींग । हेतु - साध्य के साथ जिसका अविनाभावी संबंध है उसको हेतु कहते हैं । हेत्वाभास - जिसका साध्य के साथ अविनाभावी संबंध नहीं है वह हेत्वाभास है, उसके प्रसिद्ध, विरुद्ध प्रनैकान्तिक, और श्नकिञ्चित्कर ऐसे चार भेद हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001276
Book TitlePramey Kamal Marttand Part 1
Original Sutra AuthorPrabhachandracharya
AuthorJinmati Mata
PublisherLala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year1972
Total Pages720
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size15 MB
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