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अभावस्य प्रत्यक्षादावन्तर्भाव:
अर्थक एव प्रागभावो विशेषणभेदाद्भिन्न उपचर्यते 'घटस्य प्रागभावः पटादेर्वा' इति, तथोत्पन्नार्थविशेषणतया तस्य विनाशेप्युत्पत्स्यमानार्थविशेषणत्वेनाविनाशान्नित्यत्वमपीति । नन्वेवं प्रागभावादिचतुष्टयकल्पनानर्थक्यम् सर्वत्रकस्यैवाभावस्य विशेषणभेदात्तथा भेदव्यवहारोपपत्तेः । कार्यस्य हि पूर्वेण कालेन विशिष्टोर्थः प्रागभावः, परेण विशिष्टः प्रध्वंसाभावः, नानार्थविशिष्ट : स एवेतरेतराभावः, कालत्रयेप्यत्यन्तनानास्वभावभावविशेषणोऽत्यन्ताभावः स्यात्, प्रत्ययभेदस्यापि तथोपपत्तः, सत्त कत्वेपि द्रव्यादिविशेषणभेदात्प्रत्ययभेदवत् । यथैव हि सत्प्रत्ययाविशेषाद्विशेषलिङ्गाभावाच्च कत्वं सत्तायाः तथैवासत्प्रत्ययाविशेषलिङ्गाभावाचाभावस्यापि । अथ 'प्राग्नासीत्' इत्यादिप्रत्यय विशेषाच्चतुर्विधोऽभावः; तहि प्रागासीत्पश्चाद्भविष्यति सम्प्रत्यस्तीति कालभेदेन, पाटलिपुत्रेस्ति
जाय, किन्तु उसको नष्ट हुआ नहीं मानते, क्योंकि आगे उत्पन्न होने वाले पदार्थों का प्रागभाव नष्ट नहीं हुआ है ।
जैन-ऐसा कहने पर तो प्रागभाव आदि चार भेद मानना भी व्यर्थ ठहरेगा, सब जगह एक प्रभाव ही विशेषण के भेद से भेद वाला मान लिया जायगा, जैसे प्रागभाव में एक होते हुए भी भेद व्यवहार [पटका प्रागभाव घटका प्रागभाव ऐसा भेद] कर सकते हैं वैसे ही एक ही प्रभाव को मानकर विशेषण के भेद से भेद का उपचार कर सकते हैं अब इसी का विवेचन करते हैं-कार्य के पूर्व काल द्वारा विशिष्ट जो पदार्थ है उसको प्रागभाव कहना, कार्य के उत्तर काल द्वारा जो विशिष्ट है उसको प्रध्वंसाभाव, अनेक पदार्थ संबंधी विशिष्ट अभाव इतरेतराभाव और तीनों कालों में अत्यन्त भिन्न रहना है स्वभाव जिसका ऐसा भाव विशेषण रूप अत्यन्ता भाव है ऐसा मानना पड़ेगा तथा प्रागभावका ज्ञान, प्रध्वंसाभावका ज्ञान ऐसे ज्ञानके भेद भी उपचार जैसे मानसे मानने होंगे। परमतमें सत्ता एक होते हुए भी द्रव्य की सत्ता इत्यादि विशेषण के भेद से सत्ता में भेद माने जाते हैं अथवा जिस प्रकार विशेषणोंके भेदसे ज्ञानमें भेद माना जाता है। जिस प्रकार "यह है यह है" इत्यादि सद् रूप ज्ञान की विशेषता होने से एवं विशेष लिंगके प्रभाव होनेसे सत्ताको एक रूप माना जाता है, उसी प्रकार “यह नहीं है यह नहीं है" इत्यादि असत् रूप ज्ञानकी विशेषता होनेसे एवं विशेष लिंगका अभाव होनेसे प्रभाव को भी एक रूप मानना चाहिये ?
शंका- "पहले नहीं था" इत्यादि वाक्य भेद के कारण प्रभाव को चार प्रकार का माना जाता है ?
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