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प्रमेयकमलमार्तण्डे
"तेन सम्बन्धवेलायां सम्बन्ध्यन्यतरो ध्र वम् । अर्थापत्त्यैव गन्तव्यः पश्चादस्त्वनुमानता।"
[ मी० श्लो० अर्था० श्लो० ३३ ] इति । अथ प्रमाणान्तरात्तदवगमः; तत्कि भूयोदर्शनम्, विपक्षेऽनुपलम्भो वा ? प्राद्य विकल्पे क्वास्य भूयोदर्शनम्-साध्यमिरिण, दृष्टान्तमिरिण वा ? न तावदाद्य: पक्षः; शक्त रतीन्द्रियतया साध्यमिण्यस्य तदविनाभावित्वेन भूयोदर्शनासम्भवात् । द्वितीयपक्षोप्यत एवायुक्तः । किञ्च, दृष्टान्तमिरिण उसी कारण से अविनाभाव संबंध के ग्रहण के काल में संबंधी में से अन्यतर अर्थात् वृष्टि ( बरसात ) और नदीपूर इन दोनों में से एक वृष्टि ही नियम से प्रर्थापत्ति के द्वारा जानने योग्य होती है । पहिले अर्थापत्ति ज्ञान ही होता है। हाँ; कदाचित अविनाभाव संबंध के अनंतर यदि इन विषयों का निश्चय होता है तब उसको अनुमान प्रमाण कह सकते हैं" ॥ २ ॥
___ अब दूसरा पक्ष-अर्थापत्ति को उत्पन्न करनेवाले पदार्थका अविनाभाव अन्यप्रमाण से अवगत होता है [जाना जाता है ] ऐसा कहें तो पुन: प्रश्न होता है कि वह कौनसा प्रमाण है, भूयोदर्शनरूप प्रमाण अथवा विपक्ष में अनुपलम्भरूप प्रमाण ? यदि कहा जाय कि भूयोदर्शनरूप ज्ञानसे वह अर्थापत्ति उत्थापक पदार्थ जाना जाता है तो प्रश्न होता है कि वह भूयोदर्शन कहां पर हुआ है ? साध्यधर्मी में या दृष्टान्तधर्मी में ? प्रथम विकल्प साध्यधर्मी हुआ है [ साध्यधर्मी अर्थात् जलानेकी शक्तिवाली जो अग्नि है वह यहां साध्यधर्मीरूपसे कही गयी है सो उस साध्यरूप धर्मी अर्थात् अग्नि में उस अर्थापत्ति उत्थापक पदार्थका भूयोदर्शन हुआ है] ऐसा कहना शक्य नहीं, क्योंकि शक्ति तो अतीन्द्रिय है, अतः साध्यधर्मी जो अग्नि है उसमें दाहरूप साधन का शक्तिके साथ अविनाभावपने' से बार २ देखनारूप भूयोदर्शन होना संभव नहीं है ।।
यदि द्वितीयपक्ष को आश्रित कर कहा जावे कि दृष्टान्त धर्मी में भूयोदर्शन हुआ है सो ऐसा कहना भी इसी के समान असिद्ध है । दूसरी बात यह है कि दृष्टान्त धर्मी में प्रवृत्त हुया भूयोदर्शन साध्यधर्मी में भी इस दाहके अन्यथानुपपन्नत्य का निश्चय कराता है, या दृष्टान्तधर्मी में ही इसके अन्यथानुपपन्नत्व का निश्चय कराता है ? इनमें से द्वितीयपक्ष ठीक नहीं है, क्योंकि दृष्टान्तधर्मी में अन्यथानुपपन्नत्वरूप से निश्चित किया गया दाहरूप पदार्थ अन्य अर्थात् दृष्टान्त से पृथक् जो साध्यधर्मी है उसमें अभी तक अनिश्चित् है, वहां अपने साध्यको (दाहकत्व शक्तिको) सिद्ध नहीं कर सकता।
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