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प्रमेयक मलमार्त्तण्डे
उसका आत्मा के साथ संबंध कौन जोड़े ? समवाय आपका सिद्ध नहीं होता है । दूसरी बात यह भी है कि जैसे घटादि पदार्थ पहले अज्ञात रहते हैं और पीछे इन्द्रिय से संबंध होने पर ज्ञान के द्वारा अनुभव में आते हैं वैसे सुख दुःखादि नहीं हैं, वे तो अन्तरङ्ग में तत्काल ही अनुभवरूप होते हैं । इसलिये प्रभाकर का यह अनुमान गलत हो गया कि "आत्मा अप्रत्यक्ष है क्योंकि कर्मरूप से प्रतोत नहीं होता इत्यादि । श्रात्मा कर्त्तारूप से हर व्यक्ति को प्रत्यक्ष हो रहा है वह परोक्ष नहीं है ऐसा निश्चय हुआ ।
* इस प्रकार श्रात्माप्रत्यक्षत्ववाद का सारांश समाप्त
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