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परमपूज्य प्रशांत मुद्राधारी आचार्यवर्य १०८ श्री धर्मसागरजी महाराज
धर्मसागर आचार्यो, धर्मसागर वर्द्धने । चन्द्रवत् वर्तते योऽसौ, नमस्यामि त्रिशुद्धतः ।।
क्षुल्लक दीक्षा: वि० सं०२००० वालूज ग्राम (महाराष्ट्र)
पौष पूर्णिमा वि० सं० १६७० गंभीरा ग्राम (राज.)
मुनि दीक्षा: वि० सं० २००७ फुलेरा (राज.)
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