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विज्ञानाद्वैतवादः
२४७ सद्भावे च द्वैतापतितो नातं भवेत् । प्रमाणाभावे चाद्वैताप्रसिद्धिः प्रमेयप्रसिद्धेः प्रमाण सिद्धिनिबन्धनत्वात्।
__किञ्चाद्व तमित्यत्र प्रसज्यप्रतिषेधः, पर्यु दासो वा? प्रसज्यपक्षे नाद्वै तसिद्धिः । प्रतिषेधमात्रपर्यवसितत्वात्तस्य। प्रधानोपसर्जनभावेनाङ्गाङ्गिभावकल्पनायामपि द्वैतप्रसङ्गः। पर्युदासपक्षेपि द्वैतप्रसक्तिरेव नहीं सकती। बाध्य बाधक भाव किस प्रकार सत्य होता है इस बात का विवेचन ब्रह्माद्वैत का विचार-खण्डन करते समय विस्तार पूर्वक कह पाये हैं, इसलिये अब विशेष न कहकर विराम लेते हैं। एक आपत्ति और आपके ऊपर आ पड़ती है कि अद्वैत को आप सिद्ध करने जाते हो तो उसका प्रसाधक प्रमाण मानना जरूरी होता है, इस तरह तो द्वैतवाद होता है-एक अद्वैत और दूसरा उसका प्रसाधक प्रमाण । यदि प्रमाण को नहीं मानोगे तो अद्वैत सिद्ध नहीं होगा । देखो-प्रमेयको जो सिद्ध करे वही तो प्रमाण है, प्रमाण सिद्धिसे ही प्रमेय की सिद्धि हुना करती है।
___ आपको यह प्रगट करना होगा कि "अद्वतमें जो "न द्वतं" ऐसा नत्र समास है सो उसमें नकार का अर्थ प्रसज्य प्रतिषेधवाला है ? कि पर्युदास प्रतिषेधवाला है ? प्रसज्य प्रतिषेधवाला है ऐसा कहो तो अद्व तसिद्ध नहीं होगा, क्योंकि प्रसज्य प्रतिषेध तो मात्र निषेध करनेवाला है। यदि नकार का अर्थ मुख्य और गौण रूप करो तो "न द्वतं अद्वतं" ऐसे अर्थ में नकार मुख्यता से तो द्वैत का निषेध करता है और गौणपने से अद्वैत की विधि भी करता है सो इस प्रकार से विशेष्य विशेषण की कल्पना करने पर भी खंत ही स्पष्टरूप से सिद्ध होता है । नत्र समास का अर्थ पर्युदास प्रतिषेधरूप मानो तो भी द्वैतवाद सिद्ध होता है, क्योंकि प्रमाण से निश्चित हुआ-जाना हुआ ऐसा प्रसिद्ध द्वत का निषेध करके ही अद्वैत की कल्पना करते हो, ऐसा सिद्ध होगा, द्वैत से पृथक् ही कोई अद्वैत है ऐसा कहोगे तो भी द्वैत ही का प्रसंग प्राता है, द्वैत से अद्वैत अभिन्न है ऐसा कहोगे तो भी द्वत की ही प्रसक्ति होती है, क्योंकि भिन्न से अभिन्न के अभेद का विरोध है अर्थात् भिन्न और अभिन्न में अभेद नहीं रहता है । इस प्रकार अद्वैतवाद को श्राप द्वैतवाद से भिन्न नहीं कह सकते हैं । और न अभिन्न ही कह सकते हैं । क्योंकि दोनों पक्षोंमें द्वैत की ही सिद्धि होती है।
विशेषार्थ - "न द्वैतं अद्वैतं" इस प्रकार से तत्पुरुष समास का एक भेद जो नत्र समास है उससे अद्वेत शब्द बनता है, इसके विग्रह में जो नकार जुड़ा हुआ है उस पर प्राचार्य ने प्रश्न करके उत्तर दिये हैं कि नकार का अर्थ किस प्रकार करते
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