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ब्रह्माद्वैतवादः
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कालाभेदात्, प्राकाराभेदाद्वा स्यात् ? यदि देशाभेदात्; तदा देशस्यापि कुतोऽभेद: ? अन्यदेशाभेदाच्चेदनवस्था । स्वतश्चे दर्थानामपि स्वत एवाभेदोऽस्तु कि देशाभेदादभेदकल्पनया ? इत्यादिसर्वमत्रापि योजनीयम् । तस्मात्सामान्यस्य विशेषस्य वा स्वभावतोऽभेदो भेदो वाभ्युपगन्तव्यः ।
यच्चेदमुक्तम्-'यत एवाविद्या ब्रह्मणोऽर्थान्तरभूता तत्त्वतो नास्त्यत एवासौ निवर्त्यते' इत्यादि। तदप्यसारम् ; यतो यद्यवस्तुसत्यविद्या कथमेषा प्रयत्न निवर्तनीया स्यात् ? न ह्यवस्तुसन्तः शशशृङ्गादयो यत्ननिवर्तनीयत्वमनुभवन्तो दृष्टाः । न चास्यास्तत्त्वतः सद्भावे निवृत्त्यसम्भवः; घटादीनां सतामेव निवृत्तिप्रतीतेः । न चाविद्यानिमितत्वेन घटनामारामादीनामपि तत्त्वतोऽसत्त्वम् ; अन्योऽपाश्रयानुषङ्गात्-अविद्यानिमितत्वे हि घटादीनां तत्त्वतोऽसत्त्वम्, तस्माच्चाविद्यानिमितत्वमिति । अभेदस्य
कहो तो वह देश अभेद भी कहां से हुआ ? अन्य देश के अभेद से कहो तो अनवस्था दोष आता है, स्वतः अभेद कहो तो पदार्थ में भी स्वतः अभेद मानो, देश अभेद से पदार्थ में अभेद मानने की क्या आवश्यकता है ? इत्यादि सारे हमें दिये गये दूषण अभेद पक्ष में भी समान हैं, इसलिये सामान्य हो चाहे विशेष-दोनों में भी स्वभाव से ही अभेद अथवा भेद मानना चाहिये ।
ब्रह्मवादी ने जो कहा था-कि "अविद्या ब्रह्मा से भिन्न कोई वास्तविक पदार्थ नहीं है, इसलिये वह नष्ट होती है इत्यादि"-सो यह कथन भी प्रसार है, क्योंकि यदि अविद्या अवस्तुरूप असत् है तो उसे प्रयत्न पूर्वक क्यों हटानी पड़ती है ? अवस्तुरूप खरगोशशृङ्ग आदि क्या प्रयत्न पूर्वक हटाये जाते हुए देखे गये हैं ? या देखे जाते हैं ?
शंका-अविद्या वास्तविक होगी तो उसे कैसे समाप्त किया जा सकेगा ?
समाधान - यह कथन-ऐसी शंका ठीक नहीं है । देखिये-घटादि सत् होकर भी समाप्त किये जाते हैं कि नहीं ? वैसे ही अविद्या सत् होवे तो भी हटायी जा सकती है, आप ऐसा भी नहीं कहना घट, ग्राम, बगीचादि अविद्या से निर्मित हैं । अतः असत् हैं और इसी कारण से उन्हें भी हटा सकते हैं सो ऐसे तो अन्योन्याश्रय दोष आता है अर्थात् घटादिकों में अविद्या से निर्मितपना सिद्ध हो तब उनमें असत्व सिद्ध हो और असत्व सिद्ध हो तब उनमें अविद्या से निर्मितपना सिद्ध हो । “अभेद विद्यानिर्मित है, अतः वह वास्तविक है" इस पक्ष में भी वही अन्योन्याश्रय दोष आता है, अर्थात् पहिले विद्या परमार्थभूत है यह बात सिद्ध हो तब अभेद विद्या के द्वारा पैदा है यह कथन सिद्ध हो और अभेद विद्या निर्मित है यह कथन सिद्ध होने पर विद्या में
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