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________________ गाथांक ८-३८६ ८-३८७ ८-४४१ ८-४५१ ८-५११ ९८८] तिलोयपण्णती क्रम संख्या विषय गाथांक क्रम संख्या विषय ३४ सिद्धकूट ५-१६६ १८ सौधर्म इन्द्रकी देवियां ३५ रुचकवर पर्वत (लोक i (लोकविनिश्चय) विनिश्चय ) ५-१६७ ४९ सौधर्म इन्द्रकी देवियां ३६ जघन्य भवनोंका विस्तार ६-१० (संगाहणी) ३७ ज्योतिनगरियोंका बाहल्य ७-११५५० शक्रादिके यानविमान ३८ राहुनगरका बाहल्य ७-२०३ ५१ इन्द्रोंके मुकुटचिह्न ३९ ऋतु विमानके श्रेणीबद्ध ८-८४ ५२ सर्वार्थसिद्धिमें जघन्य ४० बारह या सोलह कल्प ८-११५ आयु ४१ विजयादि विमानोंका ५३ सौधर्मादि युगलोंमें आयु ८-१२६ प्रमाण ४२ सोलह कल्प ८, १२७-२८५४ दक्षिण इन्द्रोंकी देवियोंकी ४३ ब्रह्मादि चार युगलोंमें दिशाभेद १४८५५ दक्षिण इन्द्रोंकी देवियोंकी ४४ सौधर्मादि कल्पोंमें विमानसंख्या - आयु (लोकायनी ) ०५६ दक्षिण इन्द्रोंकी देवियोंकी ४१ अनीकप्रमाण (लोक____ विनिश्चय ) आयु ( मूलाचार ) ४६ अनीकप्रमाण (संगायणी) ८, २७१-२७२ ५७ लौकान्तिक सुर ४७ दक्षिण-उत्तर इन्द्रोंकी ५८ सौधर्मेन्द्र-शक्ति स्थिति ८-३५१ ५९ सिद्धोंकी अवगाहना विन्यास ८-५२४ आयु ८-५२७ ८-१४८ ८-५३० ८-२७० ८-५३२ ८-६३५ ८-६९९ करण-सूत्र अहवा आदिम-मज्झिम ५-२४३ | इसुपादगुणिदजीवा अहवा तिगुणियमज्झिम ५-२४४ इसुवग्गं चउगुणिदं । भादिम-मझिम बाहिर ४-२५६२ , " ४-२३७४ | गच्छसमे गुणगारे ४-२५९० गच्छं चएण गुणिदं ४-२८१८ चयदलहदसंकलिदं 6-१६० २-८५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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