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तिलोयपण्णसी
७-१८
७-१८ खेट
१-२५ खेचर ७-२१
१-५२०
मानवात
कालक कालकेतु कालमंगल काष्ठी कुक्षिनिवास कुभोगभूमि कुमानुष कुमुद कुमुदांग कुरुवंश कुलविद्या कुंभ कृतिका कृष्णराजि केतु
४-२५१३ गगनखण्ड ४-२४७८, २५११ गगनगामिनी
४-२९५ गणधर ४-२९५ गरिमा ४-५५० गर्भ ४-१३० गईतोय २-३४९ गर्भज
७-२६ गर्हण
८-६०२ गारव ७-२१, २२ गांधार
चन्द्राभ ४-१३९३ चरक
८-५६२ चरमांगधारी
२-२१२ चातुर्वर्ण संघ ४-१५१७, २२८५,
२५०८ ७-४७४ चारण क्राद्ध
४-१०३४ ४-१०३४ चारित्रमोह १-३३, ८५ चित्रा
७-२७ ४-१०२७ चिह्न निमित्त ४-१०१२ २-२८९ चिह्न स्वप्न
४-१०१६ ८-६१८ चूर्णि
९-७७ ५-२९३ चैत्य तरु
३-३१, १३५ ९-४९ चैत्यप्रासादभूमि ४-७५१ ४-१४९५, २५०४ चौतीस अतिशय ४-२२८२
८-२५८
७-१५ गोत्रनाम
केशव
छद्मस्थ
१-७४
२-२९, गौतम गोत्र
१-११५ ग्रंथि ४-९६९, ९७९ ग्राम
४-१०३३
कोश कोष्टमति क्रिया ऋद्धि क्षयोपशम क्षायिक उपभोग क्षायिक दान क्षायिक भोग क्षायिक लाभ
१-७२ घनवात १-७२ घनांगुल १-७२ घनोदधि १-७२ घातायुष्क
क्षारराशि
७-१७/पातिक
क्षीरस क्षीरस्रवी
घोरतप ऋद्धि ७-२२
घोरपराक्रम तप
४-१३४, १३९२
जगप्रतर जगश्रेणि
जयन्त १-१६९,२६८ जलकेतु
७-२२ १-९३, १३२
जलचर १-१५९, २६८
जलचारण ऋद्धि ८-५४१ जल्लौषधि ऋद्धि
४-१०७० जंघाचारण
४-१०३७ ४-१०५५ जाति विद्या
४-१३८ ४-१०५७ जिनलिंग
४-२५०७ जिनलिंगधारी ८-५६० जीवसमास
२-२७२ २-२८० ज्ञानावरण
१-७. ज्येष्ठा ५-२८०
ज्योतिर्मान् ८-५५७ ज्योतिश्चारण ऋद्धि ४-१०४६ ४-९७१, १००१
४-१४८३
१-७८ तनुवात १-१६९, २६८
क्षुद्रभाषा
क्षुधा क्षेत्र ऋद्धि क्षेत्रमंगल
१-५९ चक्षुदर्शन ४-१०८८ चतुरमलबुद्धि
चतुरिन्द्रिय
१-२१, २४ चतुर्दशपूर्वधर
क्षेमकर खेलौषधि
७-१९ चतुर्दशपूर्वित्व ४-६२७ चतुर्दशपूर्वी ४-२०६९ चतुर्वेद
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