________________
अर्धचक्री
अर्ध मण्डलीक
अलक
अवसर्पिणी
अवस्थित उम्रतप
अब्याबाध
अशोक
अशोक वृक्ष अशोकसंस्थान
अश्व
अश्विनी
अष्टम भक्त
अष्ट मंगल
अंगुल
अंगुष्ठप्रसेन
अंगोपांग
अंबरीष
असस्येषगुणश्रेणिनिर्जरा अधिप्रभृति पट्कर्म
असुरसुर जंगनिमित्त
आचारांगधर आतपक्षेत्र आठाप कर्म
आत्मांगुल
आदित्य
आदिम सूची
भामशषधि ि
भादी
भावलि
आवास
आवृत्ति
आशीविषऋद्धि
आश्लेषा
Jain Education International
आ
१-४१, ४०
१-४०, ४६ इक्ष्वाकु कुल
७-१९ इन्द्र
४-३१४ इन्द्रक
४-१०५०
८- ६१८
७-२१ ईश
७- १६
७-२२, ८-६२४ उप्रवेश
४-९१५
७-२८ | उग्रोग्र तप
४-३३४ उच्छ्वास
४-१६०, ७३८ उत्तरभाद्रपदा
१-३० उत्तरा फाल्गुनी
४-४१० | उत्तराषाढा
विशेष-शब्द-सूची
२-३४७ उत्पात
४- १००७ उत्सर्पिणी
१-१०६ उत्सेध सूयंगुल
४-९९८ | उत्सेधांगुल ४-२८७] उदकवर्ण
२- ३४८ उदय
उदीरणा
उद्धार पल्य
४- १४९० | उद्योत कर्म
७- २९१ | उपकल्की
०-६० उपतंत्रक
१- १०७ | उपपाद
३-२३, ६-६
७-५२६
४-१०७८
८- ६१७ | उपसन्नासन्न
उपसर्ग
५-३५
उभयसारी
४-१०६८
७-२६
४-२८४ ऋद्धिगारव
ऋषभ
७-२६ एकसंस्थान
इ
उ
ए
४-५५० एकेन्द्रिय
२-६५
१-२०७
४-१०३०
४-५५०
४-१०५१
४-२८४
७-२८
७-२६
७-२७
७-१७
४-३१४
१-१०७
१-१०७
७-१७
१-३९, १८१
१-१०१
१-५९
४-९८६
एकादशांगधारी
४-२५०४
८-२५८
३-१३०
१-९४; ५-७
७-३८
४-१५१६ कंदर्प
१-८०
कंस
७–२२
जोत्पत्तिकी
औषधि ऋद्धि
२-८ कंसकवर्ण
| कापोत
For Private & Personal Use Only
कजली
कदलीवात
कनक
कनकसंस्थान
कमल
कमलांग
कर्वट
कर्मजा
कर्मभूमि
कलेवर
कल्किसुत
| कल्की
कल्प
कल्पतरु
कल्पातील
कवयव
कवलाहार
कामधर
कामरूप ऋद्धि
कायप्रवीचार
औ
क
[ ९८१
| कायबल ऋद्धि
कार्मणशरीर योग
काल
४-१४८८
५-२७८
४-१०२०
४-१०६७
८-२१
२-३५३
७-१५
७-१५
४-२९८
४-२९८
४- १३९४
४-१०२१
२-२८९, ३-१९५
७-१८
४-१५१४
४-१५०९
४-३१६; ८-११४
४-३४२
८-११४
७- १५
४-३४०
३-२०१ ८-५६६
७- १६
७- १६
२-२८१
८-६२२
४-१०३२
३-१३०
४-१०६६
२-२७८
१- ९२; २-३४९;
४-२७७, ०३९,
१३८४ ७-१५, १९
www.jainelibrary.org