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८५० तिलोयपण्णत्ती
[ ८.५४२__ तत्तो उपरि सुदंसणो अमोघो सुप्पबुद्धो जसोहरो सुभद्दो सुविसालो सुमणसो सोमणसो पीदिकरो त्ति एदे णव पत्थला गेवजेसु । एदेसुमाउआणं वड्डिहाणी णस्थि, पादेक्कमेक्ककपत्थलस्स पहणियादो । तेसिमाउसंदिट्ठी' एसा- २३ । २४ । २५ । २६ । २७ । २८ । २९ । ३० । ३१ । गवाणुद्दिसेसु
चो णाम एलो चेव पत्थलो। तम्मि आउयं एत्तियं होदि ३२ । पंचाणत्तरेस सम्वसिद्धिसण्णिदो एको पत्थलो। तत्थ विजय-वइजयंत-जयंत-अपराजिदाणं जहण्णाउअं समयाधिकबत्तीससागरोवमुक्कस्सं ५ तेत्तीससागरोपमाणि । सम्वट्ठसिद्धिविमाणम्मि जहष्णुक्कस्सेण तेत्तीससागरोपमाणि ३३ ।'
। एवमाउगं सम्मत्तं । सम्वेसि इंदाण ताणं महदेविलोयपालाणं । पडिइंदाणं विरहो उक्कस्सं होइ छम्मासं ॥ ५४२ तेत्तीसामरसामाणियाण तणुरक्खपरिसतिदयाणं । चउमासं वरविरहो वोच्छं आणीयपहुदीणं ॥ ५४३ सोहम्मे छमुहुत्ता ईसाणे चउमुहुत्त वरविरदं । णवदिवस सदुतिभागा सणकुमारम्मि कप्पम्मि ।। ५४४ बारसदिणं तिभागा माहिंदे ताल बम्हम्मि । सीदिदिणं महसुक्के सतदिवसं तह सहस्सारे ॥ ५४५
उससे ऊपर सुदर्शन, अमोघ, सुप्रबुद्ध, यशोधर, सुभद्र, सुविशाल, सुमनस, सौमनस और प्रीतिंकर, इस प्रकार ये नौ पटल ग्रैबेयोंमें हैं। इनमें आयुओंकी वृद्धि-हानि नहीं है, क्योंकि, प्रत्येकमें एक एक पटलकी प्रधानता है। उनमें आयुओंकी संदृष्टि यह है - २३, २४, २५, २६, २७, २८, २९, ३०, ३१ सागरोपम । नौ अनुदिशोंमें आदित्य नामक एक ही पटल है । उसमें आयु इतनी होती है-३२ सा.। पांच अनुत्तरोंमें सवार्थसिद्धि नामक एक पटल है। उसमें विजय, वैजयंत, जयंत और अपराजित विमानमें जघन्य आयु एक समय अधिक बत्तीस सागरोपम और उत्कृष्ट तेतीस सागरोपम प्रमाण है । सर्वार्थसिद्धि विमानमें जघन्य व उत्कृष्ट आयु तेतीस सागरोपम प्रमाण है ३३ सा. ।
इस प्रकार आयुका कथन सामाप्त हुआ । सब इन्द्र, उनकी महादेवियां, लोकपाल और प्रतीन्द्र, इनका उत्कृष्ट विरह छह मास है ॥ ५४२॥
त्रायत्रिंश देव, सामानिक, तनुरक्ष और तीनों पारिषद, इनका उत्कृष्ट विरह चार मास है । अनीक आदि देवोंका उत्कृष्ट विरह कहते हैं- वह उत्कृष्ट विरह सौधर्ममें छह मुहूर्त, ईशानमें चार मुहूर्त, सनत्कुमार कल्पमें तीन भागों से दो भाग सहित नौ दिन, माहेन्द्र कल्पमें त्रिभाग सहित बारह दिन, ब्रह्म कल्पमें चालीस दिन, महाशुक्रमें अस्सी दिन, सहस्रारमें सौ दिन,
१द ब माउआउसंदिट्ठी. २द ब विजयावइजयंतअजयंत. ३ अत्र द प्रतौ ' एतिओ सेसे पुन्वं कबत्तन',ब प्रतौ च 'एतिओ सेसे पुव्वं' इत्याधिकः पाठः। ४द ब ताव. ५द ब वावं.
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