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________________ -८.५४१] अट्ठमो महाधियारो [८१७ पडिइंदत्तिदयस्स य दिगिंददेवीण आउपरिमाणं । एक्केवपल्लवडी सेसेसुं दक्खिणिदेसुं ॥ ५३६ ईसाणदिगिंदाणं जमलोमधणेसदेवीसुं। पुह पुह दिवड्डपल्लं आऊ वरुणस्स अदिरित्तं ॥ ५३७ एदेसु दिगिंदेसु आऊ सामंतअमरदेवीणं । णियणियदिगिंददेवीआउपमाणस्स सारिच्छं ॥ ५३८ पडिइंदत्तिदयस्स य दिगिंददेवीण आउपरिमाणे । एक्केवपल्लवडी सेसेसु उत्तरिदेसुं॥ ५३९ तणुरक्खाण सुराणं तिप्परिसप्पहदिआण देवाण । आउपमाणणिरूवणउवएसो संपहि पणट्ठो॥ ५४० बद्वाउं पडि भणिदं उक्कस्समज्झिमंजहण्णाणि । घादाउवमासेज अण्णलरूवं परूवेमो ॥ ५४॥ एत्थ उडुम्मि पढमपत्थले जहणमाऊ दिवड्डपलिदोवम उकस्समद्ध सागरोवमं । भद्धसागरोवम मुहं शेष दक्षिण इन्द्रोंमें प्रतीन्द्रादिक तीन और लोकपालोंकी देवियोंकी आयुका प्रमाण एक एक पल्य अधिक है ॥ ५३६ ॥ ईशान इन्द्र के लोकपालोंमें यम, सोम और कुबेरकी देवियोंकी आयु पृथक् पृथक् डेढ़ पल्य तथा वरुणकी देवियोंकी आयु इससे अधिक है ॥ ५३७ ॥ ___ य. ३, सो. ३, कु. ३, व. साधिक ३ पल्य । इन दिक्पालोंमें सामंत देवोंकी देवियोंकी आयु अपने अपने दिक्पालोंकी देवियोंके आयुप्रमाणके सदृश है ॥ ५३८ ॥ शेष उत्तर इन्द्रोंमें प्रतीन्द्रादिक तीन और लोकपाल इनकी देवियोंकी आयुका प्रमाण एक एक पल्य अधिक है ॥ ५३९ ।। तनुरक्षक देव और तीनों पारिपद आदि देवोंकी देवियोंके आयुप्रमाणके निरूपणका उपदेश इस समय नष्ट हो गया है ॥ ५४०॥ ___ यह उत्कृष्ट, मध्यम और जघन्य आयुका प्रमाण बद्धायुष्कके प्रति कहा गया है। घातायुष्कका आश्रय करके अन्य स्वरूप कहते हैं ॥ ५४१॥ यहां ऋतु नामक प्रथम पटलमें जघन्य आयु डेढ़ पल्योपम और उत्कृष्ट आयु अर्ध सागरोपम १दब ठाणवीसुं. २द ब परिमाणो. ३दब उत्तरादिगिंदेमुं. ४द ब सागरोवमं सगरोवमं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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