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________________ ८३६) तिलोयपण्णत्ती [८.४७०चोइसठाणे छक्का चउ अंककमेण पल्लाणिं । दोणि कलाओ गंदणणामे आउस्स उकस्सो ॥ ४७० ४६६६६६६६६६६६६६६३ चोइसठाणेसु तिया पंचंककमेण होंति पल्लाणिं । एक्ककला णलिणिदयणामे आउस्स उक्कस्सो ॥ ४७१ ५३३३३३३३३३३३३३३ ।। चोद्दसठाणे सुणं छक्कं अंककमेण पल्लाणिं | उकस्साऊ कंचणणामे सेढीपइण्णएसं पि॥ ४७२ पण्णरसट्ठाणेसुं छक्का अंककमेण पल्लाणि । दोण्णि कलाओ रोहिदणामे आउस्स उक्कस्सो ॥ ४७३ ६६६६६६६६६६६६६६६ चोइसठाणेसु तिया सत्तं अंककमेण पल्लाणि । एक्ककल रिचय चंचिंदयम्मि आउस्स उक्कस्सो॥ ४७४ ७३३३३३३३३३३३३३३ चोइसठाणे सुण्णं अटुंककमेण हॉति पल्लाणि । उक्कस्साऊ मरुदिंदयम्मि' सेढीपदण्णएसुं च ॥ ४७५ ८००००००००००००००। अंकक्रमसे चौदह स्थानोंमें छह और चार, इतने पल्य व दो कला प्रमाण नन्दन नामक पटलमें उत्कृष्ट आयु है ॥ ४७० ॥ ४६६६६६६६६६६६६६६३ । अंकक्रमसे चौदह स्थानोंमें तीन और पांच, इतने पल्य व एक कला प्रमाण नलिन नामक इन्द्रक उत्कृष्ट आयु है ॥ ४७१ ॥ ५३३३३३३३३३३३३३३३ । अंकक्रमसे चौदह स्थानोंमें शून्य और छह, इतने पल्य प्रमाण कंचन नामक इन्द्रक और उसके श्रेणीबद्ध व प्रकीर्णकोंमें भी उत्कृष्ट आयुका प्रमाण है ॥ ४७२ ॥ ६००००००००००००००। अंकक्रमसे पन्द्रह स्थानोंमें छह, इतने पल्य व दो कला प्रमाण रोहित नामक पटलमें उत्कृष्ट आयुका प्रमाण है ॥ ४७३ ॥ ६६६६६६६६६६६६६६६३ ।। अंकक्रमसे चौदह स्थानोंमें तीन और सात, इतने पल्य व एक कला प्रमाण चंचत् [ चन्द्र ] इन्द्रकमें उत्कृष्ट आयु है ॥ ४७४ ॥ ७३३३३३३३३३३३३३३३।। ___अकक्रमसे चौदह स्थानोंमें शून्य और आठ, इतने पल्य प्रमाण मरुत् इन्द्रक व उसके श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णकोंमें उत्कृष्ट आयु है ॥ ४७५ ॥ ८०००००००००००००० । १द मुरदिंदयम्मि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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