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________________ -८.४६९] अट्ठमो महाधियारो [८१५ चोइसठाणेसु तिया एक अंककमेण पल्लाणिं । एक्ककला उक्कस्से आऊ विमलिंदयम्मि पुढं ॥ ४५ १३३३३३३३३३३३३३३ ।। बोइसठाणे सुण्णं दुगं च अंककमेण पल्लाणि । उक्कस्साऊ चंदिदयम्मि सेढीपइण्णएसुं च ॥ ५॥ २००००००००००००००। चोइसठाणे छका दुगं च अंककमेण पल्लाणिं । दोणि कला उक्कस्से आऊ वग्गुम्मि णादम्वो॥ ४१. पण्णरसट्ठाणेसुं तियाणि अंकक्कमेण पल्लाणिं । एक्वकला उक्कस्से आऊ वीरिंदयसमहे ॥ ४६४ || बोदसठाणे सुण्णं चउगं अंककमेण पस्लाणि । उकस्साऊ अरुणिंदयम्मि सेढीपइण्णएसुं च ॥ ११९ ४००००००००००००००। अंकक्रमसे चौदह स्थानोंमें तीन और एक, इतने पल्य और एक कला प्रमाण विमल इन्द्रको उत्कृष्ट आयु है ॥ ४६५ ॥ ६६६६६६६६६६६६६६२ ४ २ = १३३३३३३३३३३३३३३३ । अंकक्रमसे चौदह स्थानोंमें शून्य और दो, इतने पल्य प्रमाण चन्द्र इन्द्रक तथा उसके श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णकोंमें उत्कृष्ट आयु है ॥ ४६६ ॥ ६६६६६६६६६६६६६६३ x ३ = २००००००००००००००। अंकक्रमसे चौदह स्थानोंमें छह और दो, इतने पल्य व दो कला प्रमाण वल्गु इन्द्रकमें उत्कृष्ट आयु है ॥ ४६७ ॥ ६६६६६६६६६६६६६६३ x ४ = २६६६६६६६६६६६६६६३ । अंकक्रमसे पन्द्रह स्थानोंमें तीन, इतने पल्य और एक कला प्रमाण वीर इन्द्रक समूहमें उत्कृष्ट आयु है ॥ ४६८ ॥ ३३३३३३३३३३३३३३३३ ।। अंकक्रमसे चौदह स्थानोंमें शून्य और चार, इतने पल्य प्रमाण अरुण इन्द्रक व उसके श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णकोंमें उत्कृष्ट आयु है ॥ ४६९ ॥ ४००००००००००००००। १द बबीरिदयस्समूहे. २९ ब चउम. ३द व अरिणिंदयम्मि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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