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-८. २३१] अट्ठमी महाधियारो
[८.१ बम्हिदे चालीसंसहस्सअब्भहिय हुवे दुवे लक्खा । लंतत्रए दोलक्खं बिगुणियसीदीसहस्स महसुक्के ।
२४०००० । २००००० । १६००००। विगुणियसट्रिसहस्सं सहस्सयारिंदयाम्म पत्तेक्क। सीदिसहस्सपमाणं उपरिमचत्तारिइंदम्मि ॥२२७
१२००००। ८००००। ८००००। ८००००। ८००००। भन्भंतरपरिसाए सोहम्मिंदाण बारससहस्सा । चेटुंते सुरपवरा ईसाणिंदस्स दससहस्साणि ॥ २२८
१२०००। १००००। तदिए अट्ठसहस्सा माहिदिदस्स छस्सहस्साणि । बम्हिदम्मि सहस्सा चत्तारो दोणि लंतर्विदम्मि ॥ ११९
८००० १६०००। ४००० । २०००। सत्तमयम्स सहस्सं पंचसयाणि सहस्सयारिंदे । आणदईदादिदुगे पत्तेक्कं दोसयाणि पण्णासा ॥ २३.
१०००।५००। २५० । २५०। भभतरपरिसाए आरणइंदस्स भग्चुदिदस्स । पत्तेक्कं सुरपवरा एक्कसयं पंचवीसजुदं ॥ २५॥
१२५ । १२५ ।
____उक्त देव ब्रह्येन्द्र के दो लाख चालीस हजार, लांतब इन्द्रके दो लाख और महाशुक्र इन्द्रके द्विगुणित अस्सी हजार अर्थात् एक लाख साठ हजार होते हैं ॥ २२६ ॥
ब्र. २४००००, लां. २०००००, म. १६००००। ___ उक्त देव सहस्रार इन्द्रके द्विगुणित साठ हजार और उपरितन चार इन्द्रों से प्रत्येकके अस्सी हजार प्रमाण होते हैं ॥ २२७ ॥ सह. १२००००, आन. ८००००, प्रा. ८००००, आर. ८००००, अ. ८००००,
सौधर्म इन्द्रकी अभ्यन्तर परिषद्में बारह हजार और ईशान इन्द्रकी अभ्यन्तर परिषद्में दश हजार देव स्थित होते हैं ॥ २२८ ॥ सौ. १२०००, ई. १००००।
तृतीय इन्द्रकी अभ्यन्तर परिषद्में आठ हजार, माहेन्द्रकी अभ्यन्तर परिषदमें छह हजार, ब्रह्मेन्द्रकी अभ्यन्तर परिपद्में चार हजार और लांतव इन्द्रकी अभ्यन्तर परिषदें दो हजार देव होते हैं ॥ २२९ ॥ सन. ८०००, मा. ६०००, ब्र. ४०००, लां. २००० ।
सप्तम इन्द्रकी अभ्यन्तर परिषद्में एक हजार, सहस्रार इन्द्रकी अभ्यन्तर परिषद्में पांच सौ और आनतादि दो इन्द्रोंकी अभ्यन्तर परिषद्में दो सौ पचास देव होते हैं ॥ २३० ॥
म. १०००, सह. ५००, आन. २५०, प्रा. २५० । __ आरण इन्द्र और अच्युत इन्द्रमेंसे प्रत्येककी अभ्यन्तर परिषद्में एक सौ पच्चीस उत्तम देव होते हैं ॥ २३१ ॥ आ. १२५, अ. १२५ ।
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