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________________ ७०६] तिलोयपण्णत्ती [७.२९७खेमपुरीपणित्रीए भडवण्यसहस्प च उसयाणि पि । पंचत्तरि जोयणया इगिदालकलाओ सीदिहिदा ॥ ५८४७५ ।। रिहार पणिधीए बासविसहस्स णबपयाणि पि । एक्कारस जोयगया सोलसहिदपगकलाओ तावखिदी॥ ६२९११ | १६ अट्ठासढिसहस्सा अट्टावण्णा य जोयणा होति । एक्कावण कलाभो रिट्टपुरीपणिधितावखिदी ॥ २९९ बाहत्तरी सइस्सा चउसया जोयगाणि च उगवदी। सोलसहिदसत्तकला खापुरीपणिधितावमही॥ ३०० सत्तत्तरी सहस्सा छच्च सया जोयणाणि इगिदालं। सीविहिदा इगिसही कलाओ मंजुसपुरम्ति तावमही॥ बापीदिसहस्साणि सत्तत्तरि जोयगागि व अंसा | सोल सभजिदा ताओ ओसाइणयरस्स' पणिधीए ॥ वह तापक्षेत्र क्षेमपुरीके प्रणिधिभागमें अट्ठावन हजार चार सौ पचसर योजन और अस्सीसे भाजित इकतालीस कलाप्रमाण रहता है ॥ २९७ ॥ ५८५७५४। ___ वह तापक्षेत्र अरिष्टनगरीके प्रणिधिभाग बासठ हजार नौ सौ ग्यारह योजन और सोलहसे भाजित पांच कलामात्र रहता है ॥ २९८ ॥ ६२९१११। यह आतपक्षेत्र अरिष्टपुरीके प्रणिधिभागमें अड़सठ हजार अट्ठावन योजन और एक योजनके अस्सी भागोंमेंसे इक्यावन कला अधिक रहता है ॥ २९९ ॥ ६८०५८५। खड्गपुरीके प्रणिधिभागमें तापक्षेत्रका प्रमाण बहत्तर हजार चार सौ चौरानबै योजन और सोलहसे भाजित सात कला अधिक है ॥ ३०० ॥ ७२४९४१४। __ मंजूषपुरमें तापक्षेत्रका प्रमाण सततर हजार छह सौ इकतालीस योजन और अस्सीसे भाजित इकसठ कला अधिक है ॥ ३०१ ॥ ७७६४१६।। औषधिनगरके प्रणिधिभागमें तापक्षेत्र व्यासी हजार सतत्तर योजन और सोलहसे भाजित नौ भाग अधिक है ॥ ३०२ ॥ ८२०७७१६ । १६ ब होदिसणयरस्स. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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