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-७. २६३ ] सत्तमा महाधियारो
[६९१ तियजायणलक्खाणं पण्णरससहस्स एक्कसय छक्का | अट्टत्तीस कलाओ सा परिही बिदियमग्गम्मि ॥
३१५१०६ ३६ चउवीसजुदेक्कसयं पण्णरससहस्स जोयण तिलक्खा । पपगरसकला परिही परिमाणं तदियवीहीए ॥२५९
३१५१२४ ॥ एक्कत्तालेक्कसयं पण्णरससहस्स जोयण तिलक्खा । तेवण्णकला तुरिमे पहम्मि परिहीए परिमाणं ॥२६०
उणसटिजुदेक्कसयं पण्णरससहस्स जोयण तिलक्खा | इगिसट्ठीपविहत्ता तीसकला पंचमपहे सा॥२६१.
एवं पुवुप्पण्णे परिहिस्खेवं मेलवि माणमुवरवरिं' । परिहिपमाण जाव दुचरिमप्परिहिं ति णेदवं॥ चोइसजुदतिसयाणि अट्टरससहस्स जोयण तिलक्खा । सूरस्स बाहिरपहे हुवेदि परिहीए परिमाणं ॥ २६३
३१८३१४ ।
द्वितीय मार्गमें वह परिधि तीन लाख पन्द्रह हजार एक सौ छह योजन और अड़तीस कला अधिक है ॥ २५८ ॥ ३१५०८९ + १७३४ = ३१५१०६३४।
तृतीय वीथीमें परिधिका प्रमाण तीन लाख पन्द्रह हजार एक सौ चौबीस योजन और पन्द्रह कला अधिक है ॥ २५९ ॥ ११५१०६३ ६ + १७६१ = ३१५१२४१३ ।
चतुर्थ पथमें परिधिका प्रमाण तीन लाख पन्द्रह हजार एक सौ इकतालीस योजन और तिरेपन कला अधिक है ॥ २६० ॥ ३१५१२४६.५ + १७६४ = ३१५१४ १५३ । ... पंचम पथमें वह परिधि तीन लाख पन्द्रह हजार एक सौ उनसठ योजन और इकसठसे विभक्त तीस कला अधिक है ॥ २६१ ॥
३१५१४१५३ + १७३६ = ३१५१५९३ । इस प्रकार पूर्वोत्पन्न परिधिप्रमाणमें उपर्युक्त परिधिक्षेपको मिलाकर द्विचरम परिधि पर्यन्त आगे आगेका परिधिप्रमाण जानना चाहिये ॥ २६२ ॥
सूर्यके बाह्य पथमें परिधिका प्रमाण तीन लाख अठारह हजार तीन सौ चौदह योजनमात्र है ॥ २६३ ॥ ३१८३१४ ।
. १९ माण उवरिवरिं, ब माण उवरुवार. २६ ब आणेदव्वं.
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