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________________ -७. १४०] सत्तमौ महाधियारो ।६७७ पणदालसहस्सा सय सत्ततालं कलाण तिणि सया। तीसजुदा दसमपहे विच्च हिमकिरणमेरूण' ॥१३६ पणदालसहस्साणिं चुलसीदी जोयणाणि एक्कसयं । बासीदिकला विच एकारसपहम्मि एदाणं ॥ १३७ ४५१८४ | ४९। पणदालसहस्साणिं वीसुत्तरदोसयाणि जोयणया । इगिसहिदुसयभागा बारसमपहम्मि तं विच्चं ॥ १३८ ४५२२० पणदालसहस्साणि दोगिण सया जोयणाणि सगवण्णा । तेरसकलाओ तेरसपहम्मि एदाण विच्चालं ॥ १३९ पणदालसहस्सा बे सयाणि तेणउदि जोयणा अधिया। अट्टोणदुसयभागा चोदसमपहम्मि तं विश्च ॥ १४० . - दशवें पथमें स्थित चन्द्र और मेरुका अन्तराल पैंतालीस हजार एक सौ सैंतालीस योजन और तीन सौ तीस कलाप्रमाण जानना चाहिये ॥ १३६ ॥ ४५१११४५3 .. ३६४५७ = १५१४७३३७ । ग्यारहवें पथमें इन दोनोंका अन्तर पैंतालीस हजार एक सौ चौरासी योजन और व्यासी कलामात्र है ॥ १३७ ॥ ४५१४७३३७ + ३६ १३७ = ४५१८४४४३७ । बारहवें पथमें वह अन्तराल पैंतालीस हजार दो सौ बीस योजन और दो सौ इकसठ भागमात्र है ॥ १३८ ॥ ४५१८४४३२४ + ३६१५९ = ४५२२०३६ । तेरहवें पथमें इन दोनोंका अन्तराल पैंतालीस हजार दो सौ सत्तावन योजन और तेरह कलामात्र है ॥ १३९ ॥ ४५२२०२३३ + ३६१३४ = ४५२५७४३३७ । चौदहवें पथमें वह विस्तार पैंतालीस हजार दो सौ तेरानबे योजन और आठ कम दो सौ भाग अधिक है ॥ १४० ॥ ४५२५७४३७ + ३६१५७ = ४५२९३१३३ । .१द ब प्रत्योरियं गाथा १३४-१३५ गाथयोन्तराले प्राप्यते, अस्मिन् स्थाने चैतत्समानार्थका निम्ना गाथोपलभ्यते- पणदालसहस्साणि सगदाल सयं च जोयणमेयं । तीसं तिसयकलाओ दहमो पहचंद णायव्वो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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