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-६.४९]
छटो महाधियारो
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महमाणिपुण्णसेलमणीभद्दा भहका सभहा या तह सध्यभहमाणुसघणपाल सरूवजक्खक्खा ॥४२ जवखुत्तममणहरणा ताण ये माणिपुण्णभविंदा । कुंदाबहुपुत्ताभो तारा तह उत्तमामओ देवीभो ॥ ४३
। जक्खा गदा। भीममहभीमविग्धविणायका उदकरक्खसा तह य । रक्खसरक्खसणा रक्खसइंदा भीमो महभीमो ताण हॉति देवीओ । पउमावसुमित्ताभो रयणट्टाकंचणपहा ॥ ४५
रक्खसा गदा। भूदा इमे सरूवा पडिरूवा भूदउत्तमा होति । पडिभूदमहाभूदा पडिछण्णाकासभूद त्ति । ४६ भूदिंदा य सरूवो पडिरूवो ताण हॉति देवीओ । स्ववदी बहुरूआ सुमुही णामा सुसीमा य ॥ ४७
। भूदा गदा। कुंभंडजक्खरक्खससंमोहा तारआ यचोक्खक्खा । कालमहकाल चोक्खा सतालया देहमहदेहा ॥ ४८ तुहिमपवयणणामा पिसाचईदा य कालमहकाला। कमलाकमलपहुप्पलसुदंसणा ताण देवीभो ॥ ४९
पिसाचा गदा।
___माणिभद्र, पूर्णभद्र, शैलभद्र, मनोभद्र, भद्रक, सुभद्र, सर्वभद्र, मानुष, धनपाल, स्वरूपयक्ष, यक्षोत्तम और मनोहरण, ये बारह भेद यक्षोंके हैं। इनके माणिभद्र और पूर्णभद्र नामक दो इन्द्र और उन इन्द्रोंके कुन्दा, बहुपुत्रा, तारा तथा उत्तमा नामक देवियां हैं ॥ ४२-४३ ॥
यक्षोंका कथन समाप्त हुआ। __भीम, महाभीम, विनायक, उदक, राक्षस, राक्षसराक्षस और सातवां ब्रह्मराक्षस, इस प्रकार ये सात भेद राक्षस देवोंके हैं । इन राक्षसों के भीम व महाभीम नामक इन्द्र और इन इन्द्रोंके पद्मा, वसुमित्रा, रत्नाढ्या और कंचनप्रभा नामक देवियां हैं ॥ ४४-४५ ॥
राक्षसोंका कथन समाप्त हुआ। स्वरूप, प्रतिरूप, भूतोत्तम, प्रतिभूत, महाभूत, प्रतिच्छन्न और आकाशभूत, इस प्रकार ये सात भेद भूतोंके हैं। इन भूतोंके इन्द्र स्वरूप व प्रतिरूप और इन इन्द्रोंके रूपवती, बहुरूपा, सुमुखी और सुसीमा नामक देवियां हैं ॥ ४६-४७ ॥
भूतोंका कथन समाप्त हुआ। कुष्माण्ड, यक्ष, राक्षस, संमोह, तारक, अशुचिनामक, काल, महाकाल, शुचि, सतालक, देह, महादेह, तूष्णीक और प्रवचन नामक, इस प्रकार ये चौदह पिशाचोंके भेद हैं। काल व महाकाल, ये पिशाचोंके इन्द्र और इन इन्द्रोंके कमला, कमलप्रभा, उत्पला व सुदर्शना नामक देवियां हैं ॥ ४८-४९॥
पिशाचोंका कथन समाप्त हुआ।
१ द विप्पू, ब भीप्पू [ विग्ध ]. २ ब महा.
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