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________________ ५५.] तिलोयपण्णत्ती [५:२५४तुरिमपक्खे भन्भंतरिमणीररासीणं एयदिसविखंभादो तदणंतरतरंगिणीणाहस्स एयदिसविखंभम्मि वड्डी गवेसिज्जइ । . पंचमपक्खे इच्छियदीवस्स एयदिसलंदादो तदणंतरोवरिमदीवस्म एयदिसरुंदम्मि वडी गवे सिज्जइ । छट्टमपक्खे अभंतरिमसम्वदीवाणं एयदिसरुंदादो तदणंतरोवरिमदीवस्स एयदिसरुंदम्मि ५ वडी गवेसिज्जइ। सत्तमपक्खे अभंतरिमस्स दीवस्म' दोण्णिदिसलंदादो तदर्णतरोबरिमदीवस्स एयदिसरुंदम्मि बड्डी गवेसिजइ। अट्रमपक्खे हेट्रिमसयलमयरायराणं दोणिदिसरुंदादो तदणंतरवाहिणीरमणस्स एयदिसदम्मि बड्डी गवेसिजइ । णवमपक्खे जंबूदीवबादरसुहुमखेत्तफलप्पमाणेण उवरिमापगाकंतदीवाणं खेत्तफलस्य खडसलागं कावृणुवहीदो दीवस्स खंडसलागाणं वड्डी गवेसिजइ । चतुर्थ पक्षमें अभ्यन्तर समुद्रोंके एक दिशासम्बन्धी विस्तारकी अपेक्षा तदनन्तर समुद्रके एक दिशासम्बन्धी विस्तारमें वृद्धिकी खोज की जाती है । पंचम पक्षमें इच्छित द्वीपके एक दिशासम्बन्धी विस्तारसे तदनन्तर उपरिम द्वीपके एक दिशासम्बन्धी विस्तारमें वृद्धिकी गवेषणा की जाती है । छठे पक्षमें अभ्यन्तर सब द्वीपोंके एक दिशासम्बन्धी विस्तारकी अपेक्षा तदनन्तर उपरिम द्वीपके एक दिशासम्बन्धी विस्तारमें वृद्धिकी खोज की जाती है। सातवें पक्षमें अभ्यन्तर द्वीपोंके दोनों दिशासम्बन्धी विस्तारकी अपेक्षा तदनन्तर उपरिम द्वीपके एक दिशासम्बन्धी विस्तारमें वृद्धिकी गवेषणा की जाती है । आठवें पक्षमें अधस्तन सम्पूर्ण समुद्रोंके दोनों दिशाओंसम्बन्धी विस्तारकी अपेक्षा तदनन्तर समुद्रके एक दिशासम्बन्धी विस्तारमें वृद्धिकी गवेषणा की जाती है। नवम पक्षमें जम्बूद्वीपके बादर व सूक्ष्म क्षेत्रफलके प्रमाणसे आगेके समुद्र और द्वीपोंके क्षेत्रफलकी खण्डशलाकायें करके समुद्रसे द्वीपको और द्वीपसे समुद्रकी खण्डशलाकाओंकी वृद्धिकी गवेषणा की जाती है । ---....................................... १६ ब दीवाण. २द ब खंदसलागं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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