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________________ ५६२] तिलोयपण्णत्ती [५. २४४ खेतफलं चत्तारिसहस्सकोडिअम्भहियपंचलक्खकोडिजोयणंपमाणं- ५०४००००००००००। पोक्खरदीवस्स खेत्तपमाणं सट्रिसहस्सकोडिअब्भहियएकवीसलक्खकोडिजोयणपमाणं-२१६०००००००००००। पोक्खरवरसमुहस्स खेत्तफलं अट्ठावीससहस्सकोडिअब्भहियउणणउदिलक्खकोडिजायणपमाणं - ८९२८०. ०००००००००। एवं जंबूदीवप्पहुदिजहण्णपरित्तासंखेज्जयस्स रूवाहियछेदणयमेत्तट्ठाणं गंतूण हिददीवस्स खेत्तफलं जहण्णपरित्तासंखेज्जयं रूऊणजहण्णपरित्तासंखेज्जएण गुणिय पुणो णवसहस्सकोडिजोयणेहिं ५ गुणिदमेत्तं खेत्तफलं होदि। तच्चेदं-१६ । १५ । ९००००००००००। पुणो जंबूदीवप्पहदिपलिदोवमस्स रूवाहिय [-छेदणय-] मेत्तं ठाणं गतूण विददीवस्स खेत्तफलं पलिदोवमं रूऊणपलिदोवमेण गुणिय पुणो णवसहस्सकोडिजोयणेहिं गुणिदमेत्तं होदि। तच्चेदं पमाणं - [प। प-१] ९००००००००००। एवं गणिदूण णादव्वं जाव सयंभूरमणसमुदं त्ति । तत्थ अंतिमवियप्पं वत्तइस्सामो-सयंभूरमणसमुहस्स खेत्तफलं जगसेढीए वग्गं णवरूवेहिं गुणिय सत्तसदचउसीदिरूवेहिं भजिदमेत्तं पुणो एक्कलक्खं बारससहस्स- १. पंचसयजोयणेहिं गुणिदरज्जूए अब्भहियं होदि । पुणो एक्कसहस्सछस्सयसत्तासीदिकोडीओ पण्णासलक्ख ......... ००००००० । कालोदसमुद्रका क्षेत्रफल पांच लाख चार हजार करोड़ योजनप्रमाण है५०४०००००००००० । पुष्करद्वीपका क्षेत्रफल इक्कीस लाख साठ हजार करोड़ योजनप्रमाण है-२१६००००००००००० । पुष्करवरसमुद्रका क्षेत्रफल नवासी लाख अट्ठाईस हजार करोड़ योजनप्रमाण है- ८९२८००००००००००। इस प्रकार जम्बूद्वीपको आदि लेकर जघन्य परीतासंख्यातके एक अधिक अर्धच्छेदप्रमाण स्थान जाकर जो द्वीप स्थित है उसका क्षेत्रफल जघन्यपरीतासंख्यातको एक कम जघन्यपरीतासंख्यातसे गुणा करके फिर नौ हजार करोड़ योजनोंसे भी गुणा करनेपर जो राशि उत्पन्न हो उतना है । वह प्रमाण यह है- १६४ (१६-१)४९०००००००००० (१६ यह संदृष्टि के लिये कल्पित जघन्यपरीतसंख्यातका प्रमाण है)। पश्चात् जम्बूद्वीपको आदि लेकर पल्यापमके एक अधिक अर्धच्छेदप्रमाण स्थान जाकर जो द्वीप स्थित है उसका क्षेत्रफल पल्योपमको एक कम पल्योपमसे गुणा करके फिर नौ हजार करोड़ योजनोंसे भी गुणा करनेपर प्राप्त हुई राशिके प्रमाण है। वह प्रमाण यह हैपल्य x (पल्य - १)x ९०००००००००० । इस प्रकार गिनकर स्वयम्भूरमण समुद्रपर्यन्त क्षेत्रफल जानना चाहिये । इनमेंसे अन्तिम विकल्पको कहते हैं जगश्रेणीके वर्गको नौसे गुणा करके प्राप्त राशिमें सात सौ चौरासीका भाग देनेपर जो लब्ध आवे उसमें फिर एक लाख बारह हजार पांच सौ योजनोंसे गुणित राजुको जोडदे; पुनः एक हजार छह सौ सतासी करोड़ पचास लाख योजनोंसे पूर्वोक्त दोनों राशियोंको कम १द अमहिएक्क. २द ब रूवोय. ३द मेत्तधाणं. ४द द्विदजीवस्स. ५द गुणिद खेतं होदि. ६ द ब १६ । ७ द गणिणिदूण, ब गणिणदूण. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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