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________________ तिलोयपण्णत्ती [ ५. ३५१३००००० । २१००००० । २९००००० । एवं देवसमुई त्ति दट्टब्वं । तस्सुवरिमहिंदवरदीवस्स ११२ रिण जोयणाणि २८१२५०२, मजिस २२४ रिण २७१८७५२, बाहिर ५६ रिण २५०० । अहिंदवरसमुई ५६ रिण २६२५००, मज्झिम ११२ रिण २४३७५०, बाहिर २८ रिण २२५०००। सयंभू रमणदीव २८ रिण २२५०००, मझिम ५६ रिण १८७५००, बाहिर १४ रिण १५०००० । सयंभू रमणलमुह १४ रिण १५००००, मज्झिम २ रिण ७५०००। बाहिर जंबूपरिहीजुगलं इच्छियदीवंबुरालिसूइहदं । जंबूवासविहत्तं इच्छियदीवद्विपरिहि त्ति ॥ ३५ बाहिरसूईवग्गो अभंतरसूइवग्गपरिहीणो। लक्खस्स कदिम्मि हिदे इच्छियदीवाद्विखंडपरिमाणं ॥ ३६ २४ । १४४ । ६७२ । एवं सयंभुरमणतं दट्टब्वं । जंबूलवणादीणं दीवुवहीणं च अहिवई दोणि । पत्तेकं वेतरया ताणं णामाणि साहेमि ॥ ३७ इस प्रकार देवसमुद्र तक अपनी अपनी सूची का प्रमाण जानना चाहिये। इसके आगे अहीन्द्रवरद्वीपकी आदि सूची ११२ रिण २८१२५०, मध्य २२४ रिण २४३७५०, बाह्य सूची ५६ रिण २५०० । अहीन्द्रवरसमुद्र ५६ रिण २६२५००, मध्यम ११२ रिण २४३७५०, बाह्य २८ रिण २२५००० । स्वयंभूरमणद्वीप २८ रिण २२५०००, मध्य ५६ रिण १८७५००, बाह्य १४ रिण १५०००० । स्वयंभूरमणसमुद्र १४ रिण १५००००, मध्य ३. रिण ७५००० । ___ जम्बूद्वीपके बाह्य परिधियुगलको ( स्थूल और सूक्ष्म ) अभीष्ट द्वीप व समुद्रकी सूचीसे गुणा करके उसमें जम्बूद्वीपके विस्तारका भाग देनेपर इच्छित द्वीप समुद्रकी परिधका प्रमाण आता है ॥ ३५॥ बाह्य सूचीके वर्गमेंसे अभ्यन्तर सूचीके वर्गको घटाकर शेषमें एक लाखके वर्गका भाग देनेपर इच्छित द्वीप-समुद्रोंके खण्डों का प्रमाण आता है ॥ ३६ ॥ ५ ला.' - १ ला. १ ला.' = २४ लवणसमुद्रके जम्बूद्वीपप्रमाण खण्ड । धा. १४४ । का. ६७२ । इस प्रकार स्वयम्भूरमणपर्यन्त जानना चाहिये । जम्बूद्वीप व लवणसमुद्रादिकोंमेंसे प्रत्येकके अधिपति जो दो दो व्यन्तरदेव हैं, उनके नामोंको कहता हूं ॥ ३७॥ १६ तस्सुवरिवरिम. २९ ३८१२५०. ३ द ब २२३४ २७१८७५. ४ ६ साहिमि, व साहिम्मि.. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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