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-४. २२४१]
चउत्थो महाधियारो
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चेटेदि कच्छणामो विजयो वणगामणयरखेडेहिं । कव्वडमडंबपट्टणदोणामुहपहुदिएहिं जुदो ॥ २२३४ दुग्गाडेवीहि जुत्तो अंतरदीवेहि कुक्खिवासेहिं । सेसासमंतरम्मो सो रयणायरमंडिदो विजओ ॥२२३५ गामाणं छपणउदीकोडीमो रयणभवणभरिदाणं । परिदो कुक्कोडुयणप्पमाणविञ्चालभूमीणं ॥ २२३६
___९६००००००० ।जयराणि पंचहत्तरिसहस्समेत्ताणि विविहभवणाणि । खेडाणि सहस्साणिं सोलस रमणिजणिलयाणि ॥ २२३७
७५००० । १६००० । चउतीससहस्साणि कव्वडया होति तह मडंबाणं। चत्तारि सहस्साणिं अडदालसहस्स पट्टणया ।। २२३८
३४००० । ४०००। ४८००० । णवणउदिसहस्साणिं हवंति दोणामुहा सुहावासा । चउँदससहस्समेत्ता संवाहणया परमरम्मा ॥ २२३९
९९०००।१४०००। अट्ठावीससहस्सा हवंति दुग्गाडवीओ छप्पण्णं । अंतरदीवा सत्त य सयाणि कुक्खीणिवासाणं ॥ २२४०
२८०००। ५६ । ७०० । छन्वीससहस्साणिं हवंति रयणायरा विचित्तेहिं । परिपुण्णा रयणहि फुरंतवरकिरणजालेहिं ॥ २२४१
२६०००।
तटपर कच्छा नामक देश स्थित है। यह रमणीय कच्छादेश वन, ग्राम, नगर, खेट, कर्वट, मटंब, पत्तन एवं द्रोणमुखादिसे युक्त, दुर्गाटवियों, अन्तरद्वीपों व कुक्षिवासोंसे सहित, समंततः रमणीय और रत्नाकरोंसे अलंकृत है ॥ २२३३-२२३५ ॥
___ उसके चारों ओर रत्नमय भवनोंसे परिपूर्ण और कुक्कुटके उड़नेप्रमाण अन्तरालभूमियोंसे युक्त छ्यानबै करोड़ ग्राम हैं ॥ २२३६ ॥ ९६०००००००।
प्रत्येक क्षेत्रमें विविध प्रकारके भवनोंसे युक्त पचत्तर हजार नगर और रमणीय आलयोंसे विभूषित सोलह हजार खेट होते हैं ॥ २२३७ ॥ ७५००० । १६००० ।
___इसके अतिरिक्त चौंतीस हजार कर्वट, चार हजार मटंव और अड़तालीस हजार पत्तन होते हैं ।। २२३८ ॥ ३४००० । ४०००। ४८०००।
सुखके स्थानभूत निन्यानबै हजार द्रोणमुख और चौदह हजारप्रमाण परमरमणीय संवाहन होते हैं ॥ २२३९ ॥ ९९००० । १४००० ।
अट्ठाईस हजार दुर्गाटवियां, छप्पन अन्तरद्वीप और सातसौ कुक्षिनिवास होते हैं ॥ २२४० ॥ २८००० । ५६ । ७०० ।
देदीप्यमान उत्तम किरणोंके समूहसे संयुक्त ऐसे विचित्र रत्नोंसे परिपूर्ण छब्बीस हजार रत्नाकर होते हैं ।। २२४१ ॥ २६००० ।
१ द ब विजया. २ द ब जुदा. ३ ब दुग्गडवीहिं. ४ द ब कुंकोडलं पुण. ५ द चोद्दस'.
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