SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 439
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७२) तिलोयपण्णत्ती [५. १७५१ अथवा गिरिवरिसाणं विगुणियवासम्मि भरहइसुमाणे । अवणीदे जे सेसं णियणियबाणाण तं माणं ॥ १७५१ चउणउदिसहस्साणि जोयण छप्पण्णअधियएकसया। दोणि कलामो अधिया णिसहगिरिस्सुत्तरे जीवा॥ १७५२ ९४१५६ ।। एक जोयणलक्खं चउवीससहस्सतिसयछादाला । णवभागा अदिरित्ता णिसहे जीवाए धणुपट्ट॥ १७५३ १२४३४६ । ९। सयवरगं एक्कसय सत्तावीसं च जोयणाणं पि । दोणि कला णिसहस्स य चूलियमाणं च णादब्वं ॥ १७५४ जो १०१२७ ।। जोयण वीससहस्सं एकसयं पंचसमधिया छट्ठी। अड्डाइजकलायो पस्सभुजा णिसहसेलस्स ॥ १७५५ २०१६५। ५। तग्गिरिदोपासेसु उववणसंडाणि होति रमणिज्जा । बहुविहवररुक्खाणिं सुककोकिलमोरजुत्ताणि ॥ १७५६ उववणसंडा सव्वे पव्वददीहत्तसरिसदीहत्ता । वरवावीकूवजुदा पुष्वं विय वण्णणा सव्वा ॥ १७५७ १९ अथवा, पर्वत और क्षेत्रके दूने विस्तारमेंसे भरतक्षेत्रसम्बन्धी बाणप्रमाणके कम करदेनेपर जितना शेष रहे उतना अपने अपने बाणोंका प्रमाण होता है ॥ १७५१ ॥ ३२९००° ४-२ १९९०° = ६३९००० निषधका बाणप्रमाण । निषधपर्वतकी उत्तरजीवाका प्रमाण चौरानबै हजार एकसौ छप्पन योजन और दो कला अधिक है ॥ १७५२ ॥ ९४१५६२३ । निषधपर्वतकी जीवाके धनुपृष्ठका प्रमाण एक लाख चौबीस हजार तनिसौ छयालीस योजन और नौ भाग अधिक है ॥ १७५३ ॥ १२४३४६१२१ । निषधपर्वतकी चूलिकाका प्रमाण सौका वर्ग अर्थात् दश हजार, तथा एकसौ सत्ताईस योजन और दो कलाप्रमाण जानना चाहिये ॥ १७५४ ॥ १०१२७१२ । निषधपर्वतकी पार्श्वभुजा बीस हजार एकसौ पैंसठ योजन और अढाई कलाप्रमाण है ॥ १७५५ ॥ २०१६५६ । इस पर्वतके दोनों पार्श्वभागोंमें बहुत प्रकारके उत्तम वृक्षोंसे सहित और तोता, कोयल एवं मयूर पक्षियोंसे युक्त रमणीय उपवनखंड है ॥ १७५६॥ वे सब उपवनखंड पर्वतकी लम्बाईके समान लम्बे और उत्तम वापी एवं कूपोंसे संयुक्त हैं । इनका सब वर्णन पहिलेके समानही है ॥ १७५७ ॥ १ द सत्तावीसभहियं, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy