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-४.१७०४]
चउत्थो महाधियारो
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हेमवदस्स य रुंदा चालसहस्सा य ऊणवीसहिदा । तस्स य उत्तरबाणो' भरहसलागादु सत्तगुणा ॥ १६९८
४००००।
सत्तत्तीससहस्सा छच्च सया सत्तरी य चउअधिया । किंचूणसोलसकला हेमवदे उत्तरे जीवा ॥ १६९९
३७६७४ । १६ ।
भट्टत्तीससहस्सों सत्तसया जोयणाणि चालीसं । दसयकला णिघि8 हेमवदस्सुत्तरं चावं ॥ १७००
३८७४०।१०।
१९
इगिहत्तरिजुत्ताई तेसट्ठिसयाई जोयणाणं पि । सत्तकला दलअधियाँ णिहिट्ठा चूलिया तस्स ॥ १७०१
यो. ६३७१ । क १५ ।
३८ पस्सभुजा तस्स हवे छच्च सहस्साई जोयणाणं पि । सत्तसया पणवण्णब्भहिया तिणि श्चिय कलाभो ॥ १७०२
६७५५ । क३।
अवसेसवण्णणाओ सरिसाओ सुसमदुस्समेणं पि । णवरि यवटिदरूवं' परिहीणं हाणिवड्डीहि ॥ १७०३ तक्खित्ते बहुमज्झे चेदि सद्दावणि त्ति णाभिगिरी । जोयणसहस्सउदो तेत्तियवासो सरिसवट्टो ॥ १७०४
१००० । १०००।
हैमवत क्षेत्रका विस्तार उन्नीससे भाजित चालीस हजार योजन और उसका उत्तरबाण भरतक्षेत्रकी शलाकासे सातगुणा है ॥ १६९८ ॥ ४०००° । ३६८४१२ ।
हैमवत क्षेत्रमें उत्तरभागमें जीवा सैंतीस हजार छहसौ चौहत्तर योजन और कुछ कम सोलह कलाप्रमाण है ॥ १६९९ ॥ ३७६७४१६ ।
___ हैमवतक्षेत्रका उत्तरधनुष अडतीस हजार सातसौ चालीस योजन और दश कलामात्र निर्दिष्ट किया गया है ॥ १७०० ॥ ३८७४०१९ ।
उसकी चूलिकाका प्रमाण तिरेसठसौ इकहत्तर योजन और साढ़े सात कला निर्दिष्ट किया गया है ॥ १७०१ ॥ ६३७१३३। उसकी पार्श्वभुजा छह हजार सातसौ पचवन योजन और तीन कलाप्रमाण है ॥ १७०२ ॥
६७५५३८ । इसका शेष वर्णन सुषमदुष्षमा कालके सदृश है। विशेषता केवल यह है कि वह क्षेत्र हानि-वृद्धिसे रहित होता हुआ अवस्थितरूप अर्थात् एकसा है ॥ १७०३ ॥
इस क्षेत्रके बहुमध्यभागमें एक हजार योजन ऊंचा और इतने ही विस्तारवाला सदृशगोल शब्दावनि ( शब्दवान् ) नामक नाभिगिरि स्थित है ॥ १७०४ ॥ १००० । १०००।
१द उत्तरहीणो. २ द ब भरतीससहस्सा. ३ द ब चरा चावा. ४ द पदस अधिया. ५ वयवडिद रूवं.
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