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________________ श्रीमदाचार्य श्री शांतिसागर स्वामिने नमः। श्रीमान् सन्माननीय विद्वद्वर्य पूज्य ब्र. जीवराज गौतमचंदजी दोशी सोलापुर अध्यक्ष श्री गजपंथ दि. जैन सिद्धक्षेत्र कमेटीके करकमलोंमें सादर समार्पित अभिनन्दन पत्र महानुभाव ! आपने इस कमेटीकी अध्यक्षताको स्वीकार कर इस क्षेत्रकी उन्नतिके लिये जो महान् कार्य किये हैं वे आपकी दूरदर्शिता, विद्वत्ता एवं धार्मिक सेवाके पूर्ण परिचायक हैं । इस क्षेत्रकी पूर्व अवस्था बहुत अवनतरूपमें थी परन्तु आपके सहयोगसे जो उसका अभूतपूर्व उद्धार हुवा है वह आपकी कर्तव्य परायणताको सिद्ध करता है । आप जैसे प्रभावक धर्मनिष्ठ, विशिष्ट पुरुषोंकाही यह कार्य है कि वर्तमानमें इस क्षेत्रकी पूर्ण सुव्यवस्था, चित्ताकर्षक उद्धार, मूर्तियोंका लेप, गुफाका सुन्दर निर्माण तथा व्यवस्थापक कमेटीका महत्त्वपूर्ण सहयोग इत्यादि गौरवपूर्ण कार्य दिख रहे हैं। पूज्यब्रह्मचारीजी ! गत तीसरे वर्ष श्रीगजपंथगिरीपर शिखरबंद मंदिरका निर्माण कराकर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा आपने अपनी ओरसे कराई थी और उससे जो धर्मप्रभावना हुई थी वह भी इस क्षेत्रके इतिहासमें अभूतपूर्व बात है । श्रीमान् ! इस वर्ष परमपूज्य १०८ आचार्य शान्तिसागरजी महाराज तथा उनके वीतरागी शिष्य परमपूज्य नेमिसागरजी महाराज, ऐलक श्रीसन्मतिसागरजी महाराजका चातुर्मास एवं उसकी निर्विघ्न महत्त्वपूर्ण समाप्ति के उपलक्ष्यमें पर्वतपर श्रीपार्श्वनाथ भगवानकी विशाल मूर्तिका पंचकल्याण महोत्सव, कमेटीद्वारा कराया है, और उनके नवीन कोठरीयोंका निर्माण तथा धार्मिक पुरुषोंके हृदयमें भक्तिका प्रवाह उत्पन्न कराकर उनकेद्वारा क्षेत्रके फण्डमें जो हजारों रुपयोंकी वृद्धिकर क्षेत्रकी नीवको पुष्ट कर दिया है। इन संपूर्ण सत्कृत्योंके लिये आप भूरिर धन्यवादके पात्र हैं। श्रेष्टिवर्य ! आप जैसे उदाराशय श्रीमान् हैं वैसेही एक उच्च विद्वान और सप्तम प्रतिमाधारी आदर्श त्यागीभी है । परमपूज्य महाराज के एक सुशिष्यके नाते, आप उनकी आज्ञाको सदैव शिरोधार्य करते हुए हमेशा धार्मिक कार्यों में संलग्न रहते हैं। इसलिये आपके इन सब सद्गुणोंसे हर्षित होती हुई कमेटी यह अभिनन्दन पत्र आपके करकमलोंमें सादर समर्पित करती है और प्रार्थना करती है कि आप हमारी इस सद्भावपूर्ण लघुभेटको स्वीकार करके इस क्षेत्रपर सदैव प्रेम रखकर हमें अनुगृहीत करेंगे ऐसी दृढ आशा है । म्हसरूळ (नाशिक) मिति मार्गशीर्ष शुद्ध ९ मी रविवार । आपकी धर्मानुरागिणी वीर निर्वाण संवत् २४६४ । श्री दि. जैन सिद्धक्षेत्र कमिटी, गजपंथ. विक्रम संवत् १९९४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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