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________________ [२९] परलोक सिधारा । उसे दिये हुए मानपत्रसे हमें सौ. रतनबाईका यहाँका गुर्जर समाज कितना आदर करता था इस बातका हमें पता लगता है । ___ जीवराजभाईका यह संक्षिप्त जीवन चरित्र है । जीवराजभाईने अपनी आत्मरत्नको सुंदर बनाया है। भारतीय संस्कृतिके वे अभिमानी है लेकिन पाश्चात्त्य विद्वानोंकी चिकित्सक बुद्धिका उनके जीवन पर बहुत प्रभाव पडा है । यह उदार गुणग्राहकता उनके जीवनका एक सर्वोत्तम अंग है । जीवराजभाई धनवान और विद्वान भी है । सुचरित्रताका उन्होंने हमारे सामने एक उत्तम आदर्श रखा है । बहुतसे विद्वान होते हुओ भी रसिक नहीं होते । लेकिन जीवराजभाई चारित्र्यशील विद्वान होते हुओ भी रसिक हैं। तत्त्वचर्चा की तरह कथाओं भी उनके मनको भाती है । इसतरह इनकी यह सुंदर जीवनी वाचकोंके जीवन का मार्गदर्शक बनें । सोलापुर ता. २२।१।१९५६ जयकुमार ज्ञानोबा आळंदकर, एम. ए. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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