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-४. ११७३ ]
चउत्थो महाधियारो
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तीससहस्सभहिया तियलक्खा संभवस्स तित्थम्मि । विरदीभो तिणि लक्खा तीससहस्साणि छसय तुरिमम्मि ॥ ११६७
३३०००० । ३३०६००। तीससहस्सब्भहिया सुमइजिणिदस्स तिणि लक्खाई। विरदीओ चउलक्खा वीससहस्साणि पउमपहणाहे ॥११६८
३३००००। ४२००००। तीससहस्सा तिणि य लक्खा तित्थे सुपासदेवस्स । चंदपैहे तियलक्खा सीदिसहस्साणि विरदीओ ॥ ११६९
३३०००० । ३८००००। ताई चिय पत्तेकं सुविहिजिणेसम्मि सीयलजिणिदे। तीससहस्सभहियं लक्ख सेयंसदेवम्मि ॥ ११७०
३८०.००।३८००००।१३००००। विरदीओ वासुपुजे इगिलक्खं होंति छस्सहस्साणिं । इगिलक्खं तिसहस्सा विरदीगो विमलदेवस्स ॥ ११७१
१०६०००।१०३००० । भट्टसहस्सन्भहिय अणंतसामिस्स होति इगिलक्खं । बासट्टिसहस्साणि चत्तारि सयाणि धम्मणाहस्स ॥११७२
१०८००० । १२५००। सट्ठिसहस्सा तिसयम्भहिया संतीसतित्थे विरदीभो। सट्ठिसहस्सा तिसया पण्णासा कुंथुदेवस्स । ११७३
६०३००। ६०३५० ।
सम्भवनाथके तीर्थमें तीन लाख तीस हजार और चतुर्थ तीर्थकरके तीर्थमें तीन लाख तीस हजार छहसौ आर्यिकायें थीं ॥ ११६७ ॥ ३३०००० । ३३०६०० ।
सुमति जिनेन्द्रक तीर्थमें तीन लाख तीस हजार और पद्मप्रभ स्वामीके तीर्थमें चार लाख बीस हजार आर्यिकायें थीं ॥ ११६८ ॥ ३३०००० । ४२००००।
सुपार्श्वजिनके तीर्थमें तीन लाख तीस हजार और चन्द्रप्रभके तीर्थमें तीन लाख अस्सी हजार आयिकायें थीं ॥ ११६९ ॥ ३३०००० । ३८०००० ।
सुविधि और शीतल जिनेन्द्रमेंसे प्रत्येकके तीर्थमें उतनी ही अर्थात् तीन लाख अस्सी हजार, तथा श्रेयांसजिनके एक लाख तीस हजार आर्यिकायें थीं ॥ ११७० ॥
३८०००० । ३८०००० । १३०००० । वासुपूज्य स्वामीके तीर्वमें एक लाख छह हजार और विमलदेवके तीर्थमें एक लाख तीन हजार आर्यिकायें थीं ॥ ११७१ ॥१०६००० । १०३००० ।
अनन्तनाथ स्वामीके तीर्थमें एक लाख आठ हजार और धर्मनाथके तीर्थमें बासठ हजार चारसौ आर्यिकायें थीं ।। ११७२ ॥ १०८००० । ६२४०० ।
... शान्तिनाथके तीर्थमें साठ हजार तीनसौ और कुन्थुजिनके तीर्थमें साठ हजार तीनसौ पचास आर्यिकायें थीं ।। ११७३ ॥ ६०३०० । ६०३५० ।
१दब चंदप्पहे. २ब जिणिदो. ३द सहस्साणं. ४ द ब 'तित्थ. TP. 38
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