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________________ -१. ५५९] चउत्थो महाधियारो २११ पण्णासकोडिलक्खा बारसहदपुव्वलक्खवासजुदा । जादम्हि उवहिउवमा उसहुप्पत्तीए अजियउप्पत्ती ॥ ५५४ सागरोवम ५००००००००००००० पुग्व धण १२००००० । मह तीसकोडिलक्खे बारसहदपुग्वलक्खवासजुदे । गलिदम्मि उवहिउवमे अजिउप्पत्तीए संभउष्पत्ती ॥ ५५५ सा ३००००००००००००० धण पुग्व १२०००००। इसपुग्वलक्खसंजुदसायरदसकोडिलक्खवोच्छेए । संभवउप्पत्तीए' अहिणंदणदेवउप्पत्ती ॥ ५५६ सा १००००००००००००० धण पुव्व १००००००। दसपुग्वलक्खसंजुदसायरणवकोडिलक्खपडिखित्ते । अहिणंदणउप्पत्तिए सुमइजिणिंदस्स उप्पत्ती ॥ ५५७ सा ९०००००००००००० धण पुव्व १००००००। इसपुग्वलक्खसमधियसायरकोडीसहस्सणवदीए । पक्खित्ते पउमप्पहजम्मो सुमइस्स जम्मादो ॥ ५५८. सा ९०००००००००००० धण पुव्व १००००००। दसपुग्वलक्खसमधियसायरकोडीसहस्सणवकम्मि । वोलीणे पउमप्पहसंभूदीए सुपाससंभूदी ॥ ५५९ सा ९०००००००... धण पुण्व १००००००। भगवान् ऋषभदेवकी उत्पत्तिके पश्चात् पचास लाख करोड़ सागरोपम और बारह लाख वर्षपूर्वोके बीत जानेपर अजितनाथ तीर्थङ्करका अवतार हुआ ॥ ५५४ ।। सागरोपम ५० लाख करोड़ + वर्षपूर्व १२ लाख । अजितनाथकी उत्पत्तिके पश्चात् बारह लाख वर्षपूर्व सहित तीस लाख करोड़ सागरोपमोंके निकल जानेपर भगवान् सम्भवनाथकी उत्पत्ति हुई ॥ ५५५ ॥ सा० ३० लाख करोड़ + वर्षपूर्व १२ लाख । सम्भव जिनेन्द्रकी उत्पत्तिके पश्चात् दश लाख पूर्व सहित दश लाख करोड़ सागरोपमोंके बीत जानेपर अभिनन्दन भगवान्ने अवतार लिया ॥ ५५६ ॥ सा० १० लाख करोड + वर्षपूर्व १० लाख । अभिनन्दन स्वामीकी उत्पत्तिके पश्चात् दश लाख पूर्व सहित नौ लाख करोड़ सागरोपमोंके बीत जानेपर सुमति जिनेन्द्रकी उत्पत्ति हुई ॥ ५५७ ॥ सा० ९ लाख करोड़ + वर्षपूर्व १० लाख। सुमतिनाथ तीर्थकरके जन्मके पश्चात् दश लाख पूर्व सहित नब्बै हजार करोड़ सागरोपमोंके बीत जानेपर पद्मप्रभका जन्म हुआ ॥ ५५८ ॥ सा० ९० हजार करोड़ + वर्षपूर्व १० लाख । पद्मप्रभके जन्मके पश्चात् दश लाख पूर्व सहित नौ हजार करोड़ सागरोपमोंका अतिक्रमण होनेपर भगवान् सुपार्श्वनाथका जन्म हुआ ॥ ५५९ ॥ सा० ९ हजार करोड + वर्षपूर्व १० लाख । १ द संभवप्पत्ती. २ व परिवत्ते. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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