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तिलोयपण्णत्ती
[ ४. ५४६
मिहिलापुरिए जादो विजयणरिदेण वप्पिलाए य । अस्सिणिरिक्खे आसाढेसुक्दसमीए णमिसामी ॥ ५४६ सउरीपुरम्मि जादो सिवदेवीए समुद्दविजएण । वइसाहतेरसीए सिदाए चित्तासु मिजिणो ॥ ५४७ हयसेणवम्मिलाहिं जादो हि वाणारसीए पासजिणो। पूसस्स बहुलएक्कारसिए रिक्खे विसाहाए ॥ ५४८ सिद्धत्थरायपियकारिणीहि णयरम्म कुंडले वीरो'। उत्तरफग्गुणिरिक्खे चित्तसियातेरसीए उप्पण्णो ॥ ५४९
इंदवज्जाधस्मारकुंथू कुरुवंसजादा णाहोग्गवसेसु वि वीरपासा। सो सुव्वदो जादववंसजम्मा णेमी अ इक्खाकुकुलम्मि सेसा ॥ ५५० एदे जिगिंदे भरहम्मि खेत्ते भब्वाण पुण्णेहिं कदावतारे । काएण वाचा मणसा णमंता सोक्खाई मोक्खाई लहंति भंवा ॥ ५५१
धोडक'केवलणाणवणफइकंदे तित्थयरे चउवीसजिणिंदे । जो अहिणंदइ भत्तिपयट्टो बज्झइ तस्स पुरंदरपट्टो॥ ५५२ सुसमदुसमम्मि णामे सेसे चउसीदिलक्खपुवाणि । वासतए अडमासे इगिपक्खे उसहउप्पत्ती ॥ ५५३
पुच्च ८४०००००, व ३, मा ८, दि १५ ।
नमिनाथ स्वामी मिथिलापुरीमें पिता विजयनरेन्द्र और माता वप्रिलासे आषाढशुक्ला दशमीके दिन अश्विनी नक्षत्रमें अवतीर्ण हुए ॥ ५४६ ॥
नेमि जिनेन्द्र शौरीपुरमें माता शिवदेवी और पिता समुद्रविजयसे वैशाखशुक्ला त्रयोदशीको चित्रा नक्षत्रमें अवतीर्ण हुए ॥ ५४७ ॥
भगवान् पार्श्वनाथ वाराणसी नगरीमें पिता अश्वसेन और माता वर्मिला ( वामा ) से पौषकृष्णा एकादशीके दिन विशाखा नक्षत्रमें उत्पन्न हुए ॥ ५४८ ॥
भगवान महावीर कुण्डलपुरमें पिता सिद्धार्थ और माता प्रियकारिणीसे चैत्र शुक्ला त्रयोदशीके दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्रमें उत्पन्न हुए ॥ ५४९ ॥
धर्मनाथ, अरनाथ और कुंथुनाथ ये तीन तीर्थंकर कुरु वंशमें उत्पन्न हुए । महावीर और पार्श्वनाथ क्रमसे नाथ और उग्र वंशमें, मुनिसुव्रत और नेमिनाथ यादव वंश ( हरिवंश ) में, तथा अवशिष्ट तीर्थङ्कर इक्ष्वाकु कुलमें उत्पन्न हुए ॥ ५५०॥
भव्य जीवोंके पुण्योदयसे भरतक्षेत्रमें अवतीर्ण हुए इन चौबीस तीर्थंकरोंको जो भव्य जीव मन-वचन-कायसे नमस्कार करते हैं, वे मोक्षसुखको पाते हैं ॥ ५५१ ।।
केवलज्ञानरूप वनस्पतिके कंद और तीर्थके प्रवर्तक चौबीस जिनेन्द्रोंका जो भक्तिसे प्रवृत्त होकर अभिनन्दन करता है, उसको इन्द्रका पट्ट बांधा जाता है ॥ ५५२ ॥
सुषमदुषमा नामक कालमें चौरासी लाख पूर्व, तीन वर्ष, आठ माह और एक पक्ष शेष रहनेपर भगवान् ऋषभ देवका अवतार हुआ ॥ ५५३ ॥
पूर्व ८४ लाख, व. ३, मा. ८, दि. १५ (१ पक्ष )।
१ द वप्पिलोए. २ द ब रेक्खे. ३ द आसाढे. . ४ द वम्मिणाहिं. ५ द कुंडलो धीरा, ६ ब सुधिवीरपासो. ७ द ब भव्वो. ८ [ दोधकम् ]. ९ द वणप्पई'. १० द 'जिणेदो,
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