________________
-४. ४७१ ]
चउत्थो महाधियारो
[२०१
अट्टमए णाकगदे असीदिकोडीहिं भजिदपल्लम्मि । वोलीणे उप्पज्जदि जसस्सिणामो मणू णवमो ॥ १६५
८०००००००० पण्णासाधियछस्सयकोदंडपमाणदेहउच्छेहो। कंचणवण्णसरीरो सयकोडीभजिदपल्लाऊ॥४६६
६५० । १००००००००० णामेण कंतमाला हुवेदि देवी इमस्स तक्काले । णामकरणुच्छवटुं उवदेसं देदि जुगलाणं ॥ ४६७ लद्धणं उवदेसं णामाणि कुणंति ते वि बालाणं । णिवसिय थोवं कालं पक्खीणाऊ विलीयंति ॥ ४६८ णवमे सुरलोयगदे अडसयकोडीहिं भजिदपल्लम्मि । अंतरिदे उप्पज्जदि अभिचंदो णाम दसममणू ॥ ४६९
८००००००००० पणुवीसाधियछस्सयकोदंडपमाणदेहउच्छेहो । कोडीसहस्सभजिदा पलिदोवममेत्तपरमाऊ ॥ ४७०
६२५ । १०००००००००० कंचणसमाणवण्णो देवी णामेण सिरिमदी तस्स । सो वि सिसूर्ण रोदणवारणहेदू कहेदि उवदेसं ॥ ४७१
०००
आठवें कुलकरके स्वर्गगमनके पश्चात् अस्सी करोडसे भाजित पल्यके व्यतीत होनेपर यशस्वी नामक नवम मनु उत्पन्न हुआ ॥ ४६५ ॥ प. १
इसका शरीर सुवर्ण जैसे वर्णवाला था, जो छहसौ पचास धनुष ऊंचा था और आयु सौ करोड़से भाजित पल्योपमप्रमाण थी ॥ ४६६ ।। ऊंचाई दं. ६५०; आयु प. _ ।
१००००००००० इसके कान्तमाला नामकी देवी थी। उस समय यह कुलकर युगलोंको अपनी सन्तानके नामकरणके उत्सवके लिये उपदेश देता है ॥ ४६७ ।।
इस उपदेशको पाकर वे युगल भी बालकोंके नामोंको करते हैं और थोड़े समय रहकर आयुके क्षीण होनेपर विलीन होजाते हैं ॥ ४६८ ॥
नवम कुलकरके स्वर्गस्थ होनेपर आठसौ करोडसे भाजित पल्यके अनन्तर अभिचन्द्र नामक दशवां मनु उत्पन्न होता है ।। ४६९ ॥ प. . ।
उसके शरीरकी उंचाई छहसौ पच्चीस धनुष और आयु एक हजार करोडसे भाजित पल्योपमप्रमाण थी ॥ ४७० ॥ दं. ६२५ । प. -
उसके शरीरका वर्ण सुवर्णके समान और देवीका नाम श्रीमती था। वह भी बालकोंके रुदनको रोकनेके निमित्त उपदेश देता है ॥ ४७१ ॥
१००००००००००
१ व परिवीगाऊ. २ द णवमो. TP. 26
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org