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________________ २०.] तिलोयपण्णत्ती [१.४५८ सत्तलपञ्चावतुंगो इगिकोडीभाजिदपल्लपरमाऊ । कंचणसरिच्छवण्णो सुमदीणामा महादेवी ।। ४५८ दंड ७००।प१००००००० तकाले भोगणरा गमणागमणेहि पीडिदा संता। भारोहंति करिंदप्पहुदिं तस्सोवदेसेणं ॥ ४५९ सप्तमए णाकगदे भडकोडीभजिदपल्लविच्छेदे । उप्पज्जदि अट्ठमो चक्खुम्मो कणयवण्णतण ॥ ४६० तस्सुन्छेहो दंडा पणवीसविहीणसत्तसयमेत्ता । दसकोडिभजिदमेक्कं पलिदोवममाउपरिमाणं ॥ ४६१ ६७५।११०००००००० देवी धारिणणामा तकाले भोगभूमिजुगलाणं । संणिदे णियबाले दट्टण महब्भयं होदि ।। ४६२ एस मण भीदाण ताणं भासेदि दिवमुवदेसं । तुम्हाण' सुदा एदे पेच्छह पुगिदुसुंदरं वयणं ॥ ४६३ तम्मणुउवएसादो बालकवयणाणि देविखदूण पुढं । भोगणरा तकाले आउविहीणा विलीयति ॥ ४६४ यह मनु सातसौ धनुषप्रमाण ऊंचा, एक करोडसे भाजित पत्यप्रमाण आयुका धारक और सुवर्णके सदृश वर्णवाला था। इसके सुमती नामकी महादेवी थी ॥ ४५८ ॥ उंचाई दं. ७००, आयु प. ........। इसके समयमें गमनागमनसे पीडाको प्राप्त हुए भोगभूमिज मनुष्य इस मनुके उपदेशसे हाथी आदिकपर सवार होने लगे ॥ ४५९ ॥ सप्तम कुलकरके स्वर्गस्थ होनेपर आठ करोडसे भाजित पल्यप्रमाण कालके पश्चात् सुवर्णके सदृश वर्णवाले शरीरसे युक्त चक्षुष्मान् नामक आठवां कुलकर उत्पन्न होता है ॥ ४६० ॥ उसके शरीरकी उंचाई पच्चीस कम सातसौ धनुष और आयु दश करोडसे भाजित एक पल्योपमप्रमाण थी ॥ ४६१ ॥ दं. ६७५ । प. १०.......। इस कुलकरके धारिणी नामकी देवी थी। इसके समयमें उत्पन्न हुए अपने बालयुगलको देखकर भोगभूमिज युगलोंको महा भय उपस्थित होता ह ॥ ४६२ ।। तब यह आठवां मनु उन भयभीत भोगभूमिजयुगलोंको दिव्य उपदेश देता है कि ये तुम्हारे पुत्र-पुत्री हैं, इनके पूर्ण चन्द्रके समान सुन्दर मुखको देखो।। ४६३ ॥ ___ इसप्रकार इस मनुके उपदेशसे स्पष्टरूपसे अपने बालकोंके मुखको देखकर वे भोगभूमिज गुगल तत्काल ही आयुसे रहित होकर विलीन हो जाते थे ॥ ४६४ ॥ १द उप्पण्णदि. २ ब साजणिदे. ३ द व भेदाणं. ४ द ब तुम्हेण. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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