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तिलोयपण्णत्ती
[४.४२७
णि चिय एदाणं उदयस्थमणाणि हॉति आयासे । पडिहदकिरणाण' पुढं तेयंगदुमाण तेएहिं॥४२७ जंबूदीवे मेरुं कुवंति पदाहिणं तरणिचंदा । रत्तिदिणाण विभागं कुणमाणा' किरणसत्तीए ॥ ४२८ सोऊण तस्स वयणं संजादा णिब्भया तदा सब्वे । अचंति चलणकमले थुगंति बहुविहपयारेहिं ॥ ४२९ पदिसुदिमरणादु तदा पल्लस्सासीदिमंसविच्छेदे । उप्पज्जदि बिदियमणू सम्मदिणामो सुवण्णणिहो ॥ ४३०
एकसहस्सं तिसयस्सहिदं दंडाणि तस्स उच्छेहो। पलिदोवमसदभागं भाऊ देवी जसस्सदी णामो ॥ १३॥
दंर १३००।प१
तकाले सेयंगा णटुपमाणा हुवंति ते सम्वे । तत्तो सूरस्थमणे दट्टण तमाइ ताराई ॥ ४३२ उप्पादा भइधोरा मदिट्टपुष्वा विभिदा एदे । इय भोगजणरतिरिया णिभरभयभभला जादा ॥ १३३ सम्मदिणामो कुलकरपुरिसो भीदाण देहि अभयगिरं । तेयंगा कालवसा जिम्मूलपण?किरणोधा ॥ ४३४ तेण तमं विस्थरिदं ताराणं मंडलं पि गयणतले । तुम्हाणस्थि किंचि वि एदाण दिसाय भयहेदू ॥ ४३५
आकाशमें यद्यपि इनका उदय और अस्त नित्य ही होता रहा है, परन्तु तेजांग जातिके कल्पवृक्षोंके तेजसे इनकी किरणोंके प्रतिहत होनेसे वे प्रकट नहीं दिखते थे ॥ ४२७ ॥
जम्बूद्धीपमें ये सूर्य और चन्द्रमा अपनी किरणशक्तिसे रात्रि-दिनके विभागको करते हुए मेरु पर्वतकी प्रदक्षिणा किया करते हैं ॥ ४२८ ॥
इसप्रकार उन प्रतिश्रुति कुलकरके वचनोंको सुनकर वे सब नर-नारी निर्भय होकर बहुत प्रकारसे उनके चरणकमलोंकी पूजा और स्तुति करते हैं ॥ ४२९ ॥
प्रतिश्रुति कुलकरकी मृत्युके पश्चात् पल्यके अस्सीवें भागके व्यतीत हो जानेपर सुवर्णके समान कान्तिवाला सन्मति नामक द्वितीय मनु उत्पन्न होता है ॥ ४३० ॥ प. है।
___ उसके शरीरकी ऊंचाई एक हजार तीनसौ धनुष, आयु पल्योपमके सौवें भागंप्रमाण, तथा देवीका नाम यशस्वती था ।। ४३१ ।। उत्सेध दं. १३०० आयु प. ।
__उस समय वे सब तेजांग जातिके कल्पवृक्ष नष्टप्राय होजाते हैं, इसीलिये सूर्यके अस्तंगत होनेपर अन्धकार और ताराओंको देखकर 'ये अत्यन्त भयानक अदृष्टपूर्व उत्पात प्रकट हुए' इसप्रकार वे भोगभूमिज मनुष्य और तिर्यंच अत्यन्त भयसे व्याकुल हुए ।। ४३२-४३३ ॥
तब सन्मति नामक कुलकर इन भयभीत हुए भोगभूमिजोंको निर्भय करनेवाली वाणीसे बतलाते हैं कि अब कालवशसे तेजांग कल्पवृक्षोंके किरणसमूह सर्वथा प्रनष्ट होचुके हैं। इस कारण आकाशप्रदेशमें इस समय अन्धकार और ताराओंका समूह भी फैल गया है । तुम लोगोंको इनकी ओरसे कुछ भी भयका कारण नहीं है ॥ ४३४-४३५ ॥
१५ एदाणिं. २ द व किरणाणि. ३ व कुणमाणो. ४द कमलो. विभचिदा. ५ द भयमेत्तला, ५ भन्भला. ७दव भेदाण देखि. ८ द ब तम्हाण.
५ द विअविदा,
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