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१८२ ]
तिलोयपण्णत्ती
[ ४.३११
छप्पि एदे' असंखेज्जरासीओ पुग्विल्लरासिस्स उवरि पक्खिविदूण पुन्वं व तिष्णवारवग्गिदे कदे उक्तस्सअसंखेज्जासंखेज्जयं ण उप्पज्जदि । तदा ठिदिबंधज्झवसायठाणाणि अणुभागबंधज्झवसायठाणाणि योगपलिच्छेदाणि उस्सप्पिणिओसप्पिणीसमयाणि च एदाणि पक्खिविण पुध्वं व वग्गिदसंवग्गिदं कदे ( उक्कस्सअसंखेज्जासंखेज्जयं भदिच्छिदूण जहगणपरित्ताणंतयं गंतूण पडिदं । ) तदो ( एगरूवं भवणीदे जाएं ) उक्करसभ संखेज्जासंखेज्जयं । जम्हि जहि असंखेजासंखेजयं मर्गिजदि तम्हि तम्हि यजद्दण्णमणुक्कस्स - ५ असंखेज्जासंखेज्जयं घेत्तन्वं । कस्स विसओ । अधिणाणिस्स ।
उक्कस्सभसंखेज्जे भवराणंतो हुवेदि रूवजुदे । तत्तो वढदि कालो केवलणाणस्स परियंतं ॥ ३११
जंतं (अणत) तं तिविहं, परित्ताणंतयं, जुत्ताणंतयं, अणंताणंतयं चेदि । जं' तं परित्ताणंतयं तं तिविहं, जहण्णपरित्ताणंतयं, अजद्दण्णमणुक्कस्सपरित्ताणंतयं, उक्कस्लपरित्ताणंतयं चेदि । जं तं जुत्ताणंतयं तं तिविहं, जहण्णजुत्ताणंतयं, अजहण्णमणुकरसजुत्ताणंतयं, उक्कस्सजुत्ताणंतयं चेदि । जं तं अनंताणंतयं तं तिविधं, १० जहणमणंताणंतयं, अजहण्णमणुक्कस्सअणंताणंतयं, उक्कस्सअणंताणंतयं चेदि ।
उत्पन्न राशिमें ( तीन वार वर्गितसंवर्गित राशिमें ) मिलाकर पहिलेके समान तीन वार वर्गितसंवर्गित करनेपर भी उत्कृष्ट असंख्यातासंख्यात उत्पन्न नहीं होता । तब फिर इस राशिमें स्थितिबन्धाव्यवसायस्थान, अनुभागबन्धाध्यवसायस्थान, योगों के अविभागप्रतिच्छेद और उत्सर्पिणी- अवसर्पिणी काल समय, इन राशियोंको मिलाकर पूर्वके समान ही वर्गित संवर्गित करनेपर ( उत्कृष्ट असंख्यातासंख्यातका अतिक्रमण कर जघन्य परीतानन्त जाकर प्राप्त होता है ।) इसमेंसे (एक अंक कम कर देनेपर) उत्कृष्ट असंख्यातासंख्यात होता है। जहां जहां असंख्यातासंख्यातकी खोज करना हो वहां वहां अजघन्यानुत्कृष्ट असंख्याता संख्यातको ग्रहण करना चाहिये। यह किसका विषय है ? यह अवधिज्ञानीका विषय है ।
उत्कृष्ट असंख्यातमें (असंख्यात संख्यात में ) एक रूपके मिलानपर जघन्य अनन्त होता है । उसके आगे केवलज्ञानपर्यन्त काल बढ़ता जाता है ॥ ३११ ॥
जो यह अनन्त है वह तीन प्रकार है- परीतानन्त, युक्तानन्त, और अनन्तानन्त । इनमें से जो परीतानन्त है वह तीन प्रकार है— जघन्य परीतानन्त, अजघन्यानुत्कृष्ट परीतानन्त और उत्कृष्ट परीतानन्त । इसीप्रकार युक्तानन्त भी तीन प्रकार है- जघन्य युक्तानन्त, अजघन्यानुत्कृष्ट युक्तानन्त और उत्कृष्ट युक्तानन्त । अनन्तानन्त भी तीन प्रकार है— जघन्य अनन्तानन्त, अजघन्यानुत्कृष्ट अनन्तानन्त और उत्कृष्ट अनन्तानन्त ।
१ द ब छक्कि पदे २ ब संखेज्जदी. ३ द ब ठिदिबंधठाणाणि ठिदिबंधझवसाणठाणाणि कसायोदयद्वाणाणि ४ द ब वग्गिज्जदि. ५ द ब जुत्तं.
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