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तिलोयपण्णत्ती
[ ४. ३१०
तं उकस्ससंज्ज्वयं अदिच्छिदूर्ण जहण्णपरित्तासंसखेजयं गनूण पदिदं । तदो एगरूवमवणीदे जादमुक्कस्ससंखेज । जम्हि जम्हि संखेज्जयं मग्गिज्जदि तम्हि तम्हि यजहण्णमणुकस्सखेज्जयं गतूण घेत्तन्वं । तं कस्स विसओ । चोइसपुब्धिस्स । उक्करलसंखमझे इगिसमयजुदे जहण्णयमसंखें । तत्तो असंखकालो उक्कस्सयसंखसमयंतं ॥ ३१०
जंतं असंखेजयं तं तिविधं, परित्तासंखेजयं, जुत्तासंखेजयं, असंखेज्जासंखेजयं चेदि । जं तं ५ परित्तासंखेजयं तं तिविधं, जहण्णपरित्तासंखेजयं, अअहण्णमणुकस्सपरित्तासंखेजयं, उक्कस्सपरित्तासं. खेजयं चेदि । जं तं जुत्तासंखेजयं तं तिविधं, जहण्णजुत्तासंखेज्जयं, अजहण्णमणुकरसजुत्तासंखेजयं, उक्कस्सजुत्तासंखेज्जयं चेदि । जतं असंखेज्जासंखेज्जयं तं "तिविधं, जहण्णभसंखेज्जासंखेजयं, अजहष्णमणुकस्सअसंखेज्जासंखेजों, उकस्सअसंखेजासंखेज्जयं चेदि।
जं तं जहण्णपरित्तासंखेजअं तं विरलेदूण एकेकस्स रूवस्स जहण्णपरित्तासंखेजयं देदूण अण्णो-१. ण्णब्भत्थे कदे उक्कस्सपरित्तासंखेजयं अदिच्छेदण जहण्णजुत्तासंखेजयं गतूण पडिदं । तदो एगरूवे अवणीदे जादं उक्कस्सपरित्तासंखेजयं । ( जम्हि जम्हि असंखेजयं ) अधिकजं तम्हि तम्हि जहण्णजुत्त
अतिक्रमण कर यह जघन्य परीतासंख्यात जाकर प्राप्त होता है। उसमेंसे एक रूप कम करदेनेपर उत्कृष्ट संख्यातका प्रमाण होता है । जहां जहां संख्यातको खोजना हो वहां वहां अजघन्यानुत्कृष्ट संख्यातका ( मध्यम संख्यातका ) जाकर ग्रहण करना चाहिये। यह किसका विषय है ? यह चौदह पूर्वके ज्ञाता श्रुतकेवलीका विषय है ।
उत्कृष्ट संख्यातमें एक समय मिलानेपर जघन्य असंख्यात होता है । इसके आगे उत्कृष्ट असंख्यातके प्राप्त होने तक असंख्यात काल है ॥ ३१० ॥
अब जो यह असंख्यात है वह तीन प्रकार है-परीतासंख्यात, युक्तासंख्यात और असंख्यातासंख्यात । जो यह परीतासंख्यात है वह तीन प्रकारका है—जघन्य परीतासंख्यात, अजघन्यानुत्कृष्ट परीतासंख्यात और उत्कृष्ट परीतासंख्यात । इसीप्रकार युक्तासंख्यात भी तीन प्रकार हैजघन्य युक्तासंख्यात, अजघन्यानुत्कृष्ट युक्तासंख्यात और उत्कृष्ट युक्तासंख्यात । जो यह असंख्यातासंख्यात है सो भी तीन प्रकार है-जघन्य असंख्यातासंख्यात, अजघन्यानुत्कृष्ट असंख्यातासंख्यात और उत्कृष्ट असंख्यातासंख्यात ।
__ जो यह जघन्य परीतासंख्यात है उसका विरलन करके एक एक रूपके प्रति जघन्य परीतासंख्यात देकर परस्पर गुणा करनेपर उत्कृष्ट परीतासंख्यातका उल्लंघन कर जघन्य युक्तासंख्यात जाकर प्राप्त होता है । इसमेंसे एक अंक कम करनेपर उत्कृष्ट परीतासंख्यात होता है । ( जहां जहां असंख्यातका ) अधिकार हो, वहां वहां जघन्य युक्तासंख्यातका ग्रहण करना चाहिये। जो यह जघन्य
... १ द अदिच्छि जहण्ण. २ द ब संख्या ३ द संखेजयं घेत्तवं. .. ४ द ब छ जहण्णयमसंखं. ५ ब विविधं. ६ द विरलोदूण. ७ द अदलिच्छेत्तूण, ब आविच्छेदूण. ८ ब पहिदत्तादो. ९ द ब अधियाकजं.
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