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-४. २११]
चउत्थो महाधियारो
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तम्हि समभूमिभागे पासादा विविहरयणकणयमया । वजकवाडेहिं जुदा चउतोरणवेदियाजुत्ता ॥ २०३ एदेसु मंदिरेसुं होति दिसाकण्णयाउ देवीओ । बहुपरिवाराणुगदी णिम्मललावण्णरूवगदा ॥ २०४ पउमदहादु दिसाए पुवाए थोवभूमिमेत्ताम्म । गंगाणईण मज्झे उब्भासदि एउ मणिमओ कूडो॥२०५ वियसियकमलायारो रम्मो वेरुलियणालसंजुत्तो । तस्स दला अइरत्ता पत्तेक कोसदलमत्तं ॥२०६ (सलिलादुवरी उदओ एक कोसं हुवेदि एदस्स । दो कोसा वित्थारो चामीयरकेसरहिं संजुत्तो ॥ २०७
इगिकोसोदयरुंदा रयणमई तस्स कण्णिया होदि । तीए उवरिं चेदि पासादो मणिमओ दियो । २०८ / तप्पासादे निवसदि वेंतरदेवी बलेत्ति विक्खा' । 'एक्कपलिदोवमाऊ बहुपरिवारेहि संजुत्ता ॥ २०९१) एवं पउमदहादो पंचसया जोयणाणि गंतूणं । गंगाकूडमपत्ती जोयणअद्धेण दक्खिणावलिया ॥ २१० चुल्लहिमवंतरंदे णहरुंदं सोधिदूंण अद्धकदो। दक्षिणभागे पव्वदउवरिम्मि हवेदि इदीहं॥२॥
उस सम भूमिभागमें विविधप्रकारके रत्न एवं सुवर्णसे निर्मित, वज्रमय कपाटोंसे सहित, और चार तोरण व वेदिकाओंसे संयुक्त प्रासाद हैं ॥ २०३ ॥ .
इन भवनों में बहुत परिवारसे युक्त और निर्मल लावण्यरूपको प्राप्त दिक्कन्या देवियां हैं ॥ २०४॥
पद्म द्रहसे पूर्व दिशामें थोडीसी भूमिपर गंगा नदीके बीचमें एक मणिमय कूट प्रकाशमान है ॥ २०५॥
यह मणिमय कूट विकसित कमलके आकार, रमणीय, और वैडूर्यमणिमय नालसे संयुक्त है। इसके पत्ते अत्यन्त लाल हैं, और प्रत्येक पत्रका विस्तार आधा कोसमात्र है ॥ २०६॥
पानीसे ऊपर इसकी उंचाई एक कोस और विस्तार दो कोस है । यह सुवर्णमय परागसे संयुक्त है ॥२०७॥
___ इस कमलाकार कूटकी रत्नमय कर्णिका एक कोस ऊंची और इतने ही विस्तारसे युक्त है। इसके ऊपर मणिमय दिव्य भवन स्थित है ॥ २०८ ॥
उस भवनमें बला इस नामसे विख्यात, एक पल्योपम आयुवाली, और बहुत परिवारसे युक्त व्यन्तर देवी निवास करती है ॥ २०९ ॥
इसप्रकार गंगा नदी पद्म द्रहसे पांचसौ योजन आगे जाकर और गंगाकूटतक न पहुंचकर उससे आधा योजन पहिले ही दक्षिणकी और मुड़ जाती है ॥ २१०॥
क्षुद्र हिमवान्के विस्तारमेंसे नदीके विस्तारको घटाकर अवशिष्टको आधा करनेपर दक्षिण भागमें पर्वतके ऊपर नदीकी लम्बाईका प्रमाण निकलता है ॥ २११ ॥
१ ब परिवाराणुमदा. २ द ब अहिरत्तो. ३ द बप्पासादा. ४ दब विक्खादो. ५ब एक्का. ६ द ब कूडमपत्तो. ७ द रुदस्साधिदूण.
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