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________________ -३. १५९] तिदियो महाधियारो [ १३१ परिसत्तयजेट्ठाऊ तियदुगएक्का य पुवकोडीओ । वेणुस्स होदि कमसो अदिरित्ता वेणुधारिस्स ॥ १५३ पु को ३। २।१। तिप्परिसाणं आऊ तियदुगएक्काओ वासकोडीओ। सेसम्मि दक्खिणिंदे अदिरित्तं उत्तारदम्मि ॥ १५४ वको ३।२।१। । एक्कपलिदोबमाऊ सेणाधीसाण होदि चमरस्स । वहरोयणस्स अधियं भूदाणंदस्स कोडिपुवाणि ॥ १५५ । पपुव्वको । धरणाणंदे अधियं वच्छरकोडी हवेदि वेणुस्स । सेणामहत्तरीऊ अदिरित्ता वेणुधारिस्स || १५६ वर्ष को । पत्तेक्कमक्कलक्खं आऊ सेणावईण णादव्यो । सेसम्मि दक्खिणिंदे अदिरित्तं' उत्तरिंदम्मि ॥ १५७ १०००००। पलिदोवमद्धमाऊ आरोहकवाहणाण चमरस्स । वइरोयणस्स अधियं भूदाणंदस्स कोडिवरिसाई॥ १५८ पव को । धरणाणदे अधियं वच्छरलक्खं हुवेदि वेणुस्स । आरोहवाहणाऊ तु अदिरित्तं वेणुधारिस्स ॥ १५९ वेणुके तीनों पारिषद देवोंकी उत्कृष्ट आयु क्रमसे तीन, दो और एक पूर्व कोटी, तथा वेणुधारीके तीनों पारिषदोंकी उत्कृष्ट आयु इससे अधिक है ॥ १५३ ॥ पू. को. ३, २, १।। . शेष दक्षिण इन्द्रोंके तीनों पारिषद देवोंकी आयु क्रमसे तीन, दो और एक करोड़ वर्ष, तथा उत्तर इन्द्रोंके तीनों पारिषद देवोंकी आयु इससे अधिक है ॥ १५४ ॥ वर्षकोटी ३, २, १। - चमरेन्द्रके सेनापति देवोंकी आयु एक पल्योपम, वैरोचन के सेनापति देवोंका आयु इससे अधिक, और भूतानन्दके सेनापति देवोंकी आयु एक पूर्वकोटी है ॥ १५५ ॥ प. १, पू. को. १ । धरणानन्दके सेनापति देवोंकी आयु एक पूर्वकोटिसे अधिक, वेणुके सेनापति देवोंकी आयु एक करोड़ वर्ष, और वेणुधारीके सेनापति देवोंकी आयु एक करोड वर्षसे अधिक है ॥ १५६ ।। वर्षकोटि १। शेष दक्षिण इन्द्रोंके सेनापतियोंमेंसे प्रत्येककी आयु एक लाख वर्ष और उत्तर इन्द्रोंके सेनापतियोंकी आयु इससे अधिक जानना चाहिये ॥ १५७ ।। वर्ष १ लाख । चमरेन्द्रके आरोहक वाहनोंकी आयु अर्ध पल्योपम, वैरोचनके आरोहक वाहनोंकी आयु अर्थ पल्योपमसे अधिक, और भूतानन्दके आरोहक वाहनोंकी आयु एक करोड़ वर्ष होती है ॥१५८|| प. ३, वर्षकोटि १ । धरणानन्दके आरोहक वाहनोंकी आयु एक करोड़ वर्षसे अधिक, वेणुके आरोहक वाहनोंकी एक लाख वर्ष, और वेणुधारीके आरोहक वाहनोंकी आयु एक लाख वर्षसे अधिक होती है ॥ १५९ ॥ वष १ लाख । - १ द ब सेसा महत्तराऊ. २ द ब अधिरित्ता. ३ द सेण्णवईण. ४ व अधिरित्त. ५ ब वाहणाई. ६ब वेणुदारिस्स. ... . . . . . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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