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________________ १३० तिलोयपण्णत्ती [ ३.१४७ एक्कपलिदोवमाऊ सरीररक्खाण होदि चमरस्स। वइरोयणस्स आधियं भूदाणंदस्स कोडिपुवाणि ॥ १४७ प१११ पु को । धरणिंदे अधियाणि वच्छरकोडी हुवेदि वेणुस्स । तणुरक्खाउवमाणं अदिरित्तो वेणुधारिस्स ॥ १४८ पु को १ । व कोव को । पत्तेक्कमेकलक्खं वासा आऊ सरीररक्खाणं । सेसम्मि दक्विणिंदे उत्तरइंदम्मि अदिरित्ता ॥ १४९ १०००००। १०००००। अडाइजा दोषिण य पल्लाणि दिवड आउपरिमाणं । आदिममझिमवाहिरतिप्परिससुराण चमरस्ल ॥ १५० प५।२।३। तिणि पलिदोवमाणि अडाइजा दुवे कमा होदि । वइरोयणस्स आदिमपरिसप्पहुदीण जेट्ठाऊ ॥ १५१ प३।५।२। असोलेसबत्तीसेवं पलिदोवमस्स भागाणि । भूदाणंदे अधिओ धरणाणंदरम परिसतिदयाऊ ॥ १५२ चमरेन्द्रके शरीररक्षक देवोंकी आयु एक पल्योपम, वैरोचन इन्द्रके शरीररक्षक देवोंकी आयु एक पल्योपमसे अधिक, और भूतानन्दके शरीररक्षकोंकी आयु एक पूर्वकोटिप्रमाण होती है ॥ १४७ ॥ प. १, प. १, पू. को. १॥ धरणानन्दके शरीररक्षकोंकी आयु एक पूर्वकोटिसे अधिक, वेणुके शरीररक्षकोंकी आयु एक करोड वर्ष, और वेणुधारीके शरीररक्षकोंकी आयु एक करोड़ वर्षसे अधिक होती है ॥ १४८॥ पू. को. १ ( सातिरेक ), वर्ष कोटि १, वर्ष कोटि १ ( सातिरेक )। शेष दक्षिण इन्द्रोंके शरीररक्षकों से प्रत्येककी आयु एक लाख वर्ष और उत्तर इन्द्रोंके . शरीररक्षकोंकी आयु एक लाख वर्षसे अधिक होती है ॥ १४९ ॥ वर्ष १ लाख, वर्ष १ लाख ( सातिरेक ) चमरेन्द्रके आदि, मध्यम और बाह्य, इन तीन पारिषद देवोंकी आयुका प्रमाण क्रमशः ढाई पल्योपम, दो पल्योपम, और डेढ़ पल्योपम है ॥ १५० ॥ प.५, २, ३ । वैरोचन इन्द्रके आदिम पारिषदादिक देवोंकी उत्कृष्ट आयु क्रमसे तीन पल्योपम, ढाई पल्योपम, और दो पल्योपम है ॥ १५१ ॥ प. ३, ५, २। भूतानन्दके तीनों पारिषद देवोंकी आयु क्रमशः पल्योपमके आठवें, सोलहवें, और बत्तीसवें भागप्रमाण, तथा धरणानन्दके तीनों पारिषद देवोंकी आयु इससे अधिक होती है ॥ १५२ ॥ प. , प. १ई, प. ३३। १८ वयरोयणस्स. २ ब अट्टसोलस', Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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