________________
-३. १३]
तिदियो महाधियारो
[ १११
असुरा णागसुवण्णा दीवहिथणिदविज्जुदिसअग्गी । वाउकुमारा परया दसभेदा होंति भवणसुरा ॥९
। वियप्पा सम्मत्ता। चूडामणिसहिगरुडा करिमयरा वडमाणवजहरी । कलसो तुरवो मउडे कमसो चिण्हाणि एदाणि ॥ १०
। चिण्हा सम्मत्ता। चउसट्ठी चउसीदी बावत्तरि होति छस्सु ठाणेसु । छाहत्तरि छण्णउदी लक्खाणि भवणवासिभवणाणि ॥१५ ६४०००००। ८४०००००। ७२०००००। ७६०००००। ७६०००००। ७६०००००। ७६०००००।
७६०००००। ७६०००००। ९६०००००। एदाणं भवणाण एक्कस्सि मेलिदाण परिमाणं । बाहत्तर लक्खाणि कोडीओ सत्तमेत्ताओ ॥ १२
७७२०००००।
। भवणसंखा गदा। दससु कुलेसु पुह पुह दो दो इंदा हवंति णियमेण । ते एक्कस्सि मिलिदा वीस विराजंति भूदीहि ॥ १३
। इंदपमाण सम्मत्तं ।
....
असुरकुमार, नागकुमार, सुपर्णकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, स्तनितकुमार, विद्युत्कुमार, दिक्कुमार, अग्निकुमार और वायुकुमार, इसप्रकार भवनवासी देव दश प्रकार हैं ॥ ९॥
विकल्पोंका वर्णन समाप्त हुआ। ___ उपर्युक्त दश भवनवासी देवोंके मुकुटमें क्रमसे चूडामणि, सर्प, गरुड, हाथी, मगर, वर्द्धमान ( स्वस्तिक ), वज्र, सिंह, कलश और तुरग, ये ( दश ) चिह्न होते हैं ॥१०॥
चिह्नोंका वर्णन समाप्त हुआ। चौंसठ लाख, चौरासी लाख, बहत्तर लाख, छह स्थानोंमें व्यत्तर लाख और च्यानबै लाख, इसप्रकार क्रमसे दश स्थानोंमें उन भवनवासी देवोंके भवनोंकी संख्या है ॥ ११ .
असुरकु. ६४०००००, नागकु. ८४०००००, सुपर्णकु. ७२०००००, द्वीपकु. ७६०००००, उदधिकु. ७६०००००, स्तनितकु. ७६०००००, विद्युत्कु. ७६०००००, दिक्कु. ७६०००००, अग्निकु. ७६०००००, वायुकु. ९६०००००।
इन सब भवनोंके प्रमाणको एकत्र मिलानेपर सात करोड बहत्तर लाख होते हैं ॥ १२ ॥ ७७२००००० ।
भवनोंकी संख्याका कथन समाप्त हुआ । उपर्युक्त दश भवनवासियोंके कुलोंमें नियमसे पृथक् पृथक् दो दो इन्द्र होते हैं। वे सब मिलकर वीस इन्द्र होते हैं, जो अपनी अपनी विभूतिसे शोभायमान हैं ॥ १३ ॥
इन्द्रोंका प्रमाण समाप्त हुआ।
१ द ब एक्काणिं. २ ब दो दो. ३ द ब मेलिदा. ४ द भूदीही.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org