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________________ -२. १३८] बिदुओ महाधियारो णव दंडा तियहाथं चउहत्तरदोसयाणि पन्याणि । एक्कारसभजिदाई उदो मणहंदयम्मि जीवाणं ॥ २३३ दं ९, ६ ३, अं. १८ मा ६] दस दंडा दो हत्था चोइस पवाणि अट्ठ भागा य । एक्कारसेहि भजिदा उदओ वणगिदयम्मैि बिदियाए ॥ २३४ दं १०,६२, अं १४ मा ८ | एकारस चावाणिं एको हत्थो दसंगुलाणि पि । एकारसहिददसंसा उदो धादिंदयम्मि विदियाए ॥२३५ दं ११,ह १, मं १० मा १० बारस सरासणाणिं पव्वाणि अट्टहत्तरी होति । एक्कारसभजिदाणि संघादे णारयाण उच्छेहो ॥ २३६ दं १२, अं७० बारस सरासणाणि तिय हत्था तिण्णि अंगुलाणि च । एक्कारसहियतिभाया उदओ जिभिदअम्मि बिदियाए॥२३७३ दं १२,६३, अं३ मा ३ तेवण्णाण य हत्था तेवीसा भंगुलाणि पण भागा। एकारसेहिं भजिदी जिब्भगपडलम्मि उच्छेहो ॥ २३० ह ५३, अं२३ मा ५ ११ मन इन्द्रकमें जीवोंके शरीरका उत्सेध नौ धनुष, तीन हाथ और ग्यारहसे भाजित दोसौ चार अंगुलप्रमाण है ।। २३३ ॥ मनक प. में दं. ९, ह. ३, अं. २,९१ ( १८६५). ___ दूसरी पृथिवीके वनक इन्द्रको शरीरका उत्सेध दश धनुष, दो हाथ, चौदह अंगुल और आठ अंगुलोंका ग्यारहवां भाग है ॥ २३४ ॥ वनक प. में. दं १०, ह. २, अं. १४. द्वितीय पृथिवीके घात इन्द्रकमें ग्यारह धनुष, एक हाथ, दश अंगुल और ग्यारहसे भाजित दश भागप्रमाण शरीरका उत्सेध है ॥ २३५ ॥ घात प. में दं. ११, ह. १, अं. १०१२. संघात इन्द्रकमें नारकियोंके शरीरका उत्सेध बारह धनुष, और ग्यारहसे भाजित अठहत्तर अंगुलप्रमाण है ॥ २३६ ॥ संघात प. में दं. १२, अं. ११ (७५.. द्वितीय पृथिवीके जिह्व इन्द्रकमें शरीरका उत्सेध बारह धनुष, तीन हाथ, तीन अंगुल और ग्यारहसे भाजित तीन भागप्रमाण है ॥ २३७ ॥ जिह्व प. में दं. १२, ह. ३, अं. ३३३. __ जिह्वक पटलमें शरीरका उत्सेध तिरेपन हाथ, तेईस अंगुल और एक अंगुलके ग्यारह भागोंमेंसे पांच भागमात्र है ॥ २३८ ॥ जिह्वक प. में ह. ५३, अं. २३ २४. १ द ब तणगिंदयम्मि. २ व धादिंदियम्मि. ३ द-पुस्तक एव. ४ द भजिदाणं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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