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________________ [८९ -२. २२६] बिदुओ महाधियारो दो दंडा दो हत्था भंतम्मि दिवडमंगुलं होदि । उभंते दंडतियं दहंगुलाणिं च उच्छेहो ॥ २२१ दं २, ह २, अं३ नं ३, अंगु १० | तिय दंडा दो हत्था अट्ठारह अंगुलाणि पव्वद्धं । संभंतणामइंदयउच्छेहो पढमपुढवीए ॥ २२२ दं३,ह २, १८ भा १ चत्तारो चावाणिं सत्तावीसं च अंगुलाणिं पि । होदि असंभंतिदयउदो पढमाए पुढवीए ॥२२३ दं ४, अं २७ । चत्तारो कोदंडा तिय हत्था अंगुलाणि तेवीसं । दलिदाणि होदि उदो विभंतयणामि पडलम्मि ॥ २२४ दं ४, ह ३, अं २३| पंच च्चिय कोदंडा एक्को हत्थो य वीस पब्वाणि । तत्तिंदयम्मि उदओ पण्णत्तो पढमखोणीए ॥ २२५ दं ५, ह १, अं२० । छ च्चिय कोदंडाणिं चत्तारो अंगुलाणि पब्वद्धं । उच्छेहो णादव्वो पडलम्मि य तसिदणामम्मि ॥ २२६ दं ६, अं ४ भा | भ्रान्त पटलमें दो धनुष, दो हाथ और डेढ़ अंगुल; तथा उद्भ्रान्त पटलमें तीन धनुष और दश अंगुलप्रमाण शरीरका उत्सेध है ॥ २२१ ॥ भ्रान्त प. में दं. २, ह. २, अं. ३, उद्भ्रान्त प. में दं. ३, अं. १० प्रथम पृथिवीके संभ्रान्त नामक इन्द्रकमें शरीरकी उंचाई तीन धनुष, दो हाथ और साढ़े अठारह अंगुल है ॥ २२२ ॥ संभ्रान्त प. में दं. ३, ह. २, अं. १८३. प्रथम पृथिवीके असंभ्रान्त इन्द्रकमें नारकियोंके शरीरकी उंचाईका प्रमाण चार धनुष और सत्ताईस अंगुल है ॥ २२३ ॥ असंभ्रान्त प. में दं. ४. अं. २७. विभ्रान्त नामक पटलमें चार धनुष, तीन हाथ और तेईस अंगुलके आधे अर्थात् साढ़े ग्यारह अंगुलप्रमाण उत्सेध है ॥ २२४ ॥ विभ्रान्त प. में दं. ४, ह. ३ अं. ११३. पृथम पृथिवीके तप्त इन्द्रकमें शरीरका उत्सेध पांच धनुष, एक हाथ और बीस अंगुलप्रमाण कहा गया है ॥ २२५ ॥ तप्त प. में दं. ५, ह. १, अं २०. त्रसित नामक पटलमें नारकियोंके शरीरकी उंचाई छह धनुष और अर्ध अंगुलसहित चार अंगुलप्रमाण जानना चाहिये ।। २२६ ॥ त्रसित प. में दं. ६, अं. ४३. . १ द सव्वत्थ, ब सव्वत्थ. TP. 12 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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