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________________ -२. ९३ ] बिदुओ महाधियारो [६५ उणतीसं लक्खाणं पंचाणउदीसहस्सपंचसया । सगसट्ठीसंजुत्ता पइण्णया पढमपुढवीए ॥ ८८ २९९५५६७॥ चउवीसं लक्खाणि य सत्ताणवदीसहस्सतिसयाणि । पंचुत्तराणि होति हु पइण्णया बिदियखोणीए ।। ८९ २४९७३०५। चोइसलक्खाणि तहा अट्ठाणउदीसहस्सपंचसया । पंचदसेहिं जुत्ता पइण्णया तदियवसुहाए ॥ ९० १४९८५१५।। णवलक्खा णवणउदीसहस्सया दोसयाणि तेणउदी । तुरिमाए वसुमइए पइण्णयाणं च परिमाणं ॥ ११ ९९९२९३। दो लक्खाणि सहस्सा णवणउँदी सगसयाणि पणुतीसं । पंचमवसुधायाए पइण्णया होति णियमेण ॥ ९२ २९९७३५। अट्टासट्टीहीणं लक्खं छट्ठीए मेइणीए वि । अवणीए सत्तमिए पइण्णया णस्थि णियमेण ॥ ९३ ९९९३२। प्रथम पृथिवीमें उनतीस लाख पंचानबै हजार पांचसौ सढ़सठ प्रकीर्णक बिल हैं ॥८८॥ २९९५५६७ द्वितीय पृथिवीमें चौबीस लाख सत्तानबै हजार तीनसौ पांच प्रकीर्णक बिल हैं ॥ ८९ ॥ समस्त बिल २५००००० - ( २६८४ + ११) = २४९७३०५ द्वि. पृ. के प्रकी. बिल । तृतीय पृथिवीमें चौदह लाख अहानबै हजार पांचसौ पन्द्रह प्रकीर्णक बिल हैं ॥ ९० ॥ समस्त बिल १५००००० - (१४७६ + ९) = १४९८५१५ तृ. पृ. के प्रकी. बिल। चतुर्थ पृथिवीमें प्रकीर्णक बिलोंका प्रमाण नौ लाख निन्यानबै हजार दोसौ तेरानबै है ॥ ९१ ॥ समस्त बिल १०००००० - ( ७०० + ७) = ९९९२९३ च. पृ. के प्रकी. बिल । पांचवीं पृथिवीमें नियमसे दो लाख निन्यानबै हजार सातसौ पैंतीस प्रकीर्णक बिल हैं ॥ ९२॥ समस्त बिल ३००००० - (२६० + ५)=२९९७३५ पं. पू. के प्रकी. बिल । छठवीं पृथिवीमें अढ़सठ कम एक लाख प्रकीर्णक बिल हैं। सातवीं पृथिवीमें नियमसे प्रकीर्णक बिल नहीं हैं ॥ ९३ ॥ समस्त बिल ९९९९५ - ( ६० + ३ )= ९९९३२ ष. पृ. के प्रकी. बिल । १ द चोद्दसयं जाणि, ब चोद्दसएं जाणि. २द णउणउदी. ३ द छही, ब छहीइ. TP.9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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