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७. पाठान्तराणि
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८ त उसणिभ कलक
लिने । असि ९-१० सुरवरेंदो १. ताडितं ११ 'सिपत्त
जे ११ 'येविरङ्गो ११ सितेहि
जे १२ छड्रेहि
जे,ख १४ ई तओ इहं १५ °हिवती, १६ नुम्हेहिं वि १६ तुम्मे वि
धीरहियया सं
पेच्छन्ति १८ पउमादिय १८ पोमाइयं १८ कारण? १९ वृत्तन्तं १९ यमतीया २२ पत्तो सो २३ विलयन्ति २४ व सुणसु २६ ण च तिब्वदु
'गतिगमणे गेण्डसु
गिण्हह ३. हु एय भू' ३. यं ण भ° ३. ट्ठिया तुम्हे ३१ जीवादिप ३१ पयत्ता ३१ तिलोगर्द ३१ तिलोकद ३१ रो होदि ३२ 'कोडीहिवियणा
पत्तहि
वि ण पत्त क ३२ अणातिम
ख 38 गन्छसु तं आ° जे ३. धम्मफलं चिय, भु क
३५ सोईतो ३८ अच्छर सुरसं ३९ महिपेढे ४० हादीया ४० कमणं
गय ४२ जणयतणया ४२ कइगइ ४२ कयगइ ४२ सुप्पभा ४३ °संजमरया, ४३ सा वीरा गच्छोहिति ४४ भणिए सु १४ गती ४६ धणमंतो ४६ वजगो ४८ सीसं तु । प । ५९ तिलया जुति
मुणिवरिद । ५. धम्मसवण ५. जायसंविग्गा ५० दो वि जुइस्स य पासे
पासं. मैं असोग चरिऊण तव उवरिमे य गे° गेजेि जुई महइमहा उ संविग्गजणिय गयाण सिकयपल्लवं
६१ अहोगई
क ८६ °स धणुयाणि पु' , ६१ उध्वट्टिो महा जे ८७ धिर्ति ६१ कमण
ख ८८ 'विभूति , ६१ पाविहिति
९० ते अगोयर सुद्धसील६२ लभिहिति कमण
संपत्त इति संशोधितम् जे गति च ख ९३ 'चरियं जो पढाइ ६२ को वा भविहामि क सुणेइ परमभावेणं। जे ६२ भमिहामि अहय,एय ९३ जो पढइ परमभावेणं । ख ६३ उक्खित्तणं
९३ मतिपरम ६५ णाभिरया
रज्जुसमत्थो वि रिवू जे ६६ सरिसिदासा जे,ख वेजयसत्थो वि रिवू ख ६८ पुत्ता य भवि ख ___णइ सो य पुं क ६८ ता भविस्संति जे ९५ घणत्थी घणं ६८ °त्ता हवीहुन्ति
महाविउलं ६९ वायकुमा जे ९६ ल गोत्तथी ६९ 'न्दरूवसरिसा, उ' क,जे _९६ लभद ६९ जयप्पमा
९.६ चेव आरोग ७. नि आणए क ९८ य मुगिस्स हि° जे,ख,मु ७. ठितीया
९९ मादीया जे ७१ हिवती
९९ हि भगवया अ° क ७२ चविया क ९९ हिं भयत्रओ अं स ७२ णा य भविहिति ख १०. कम्मविरया जे ७३ सो उ द . १.१ एवं वि° क,ख ७२ रहाभोय मु १०१ विविहेणिय बद्धमत्थ ख ७४ भवा इमे सु' क १.१ रामा...समत्थ । ७४ मवा सुराइया
नासेइ...निच्छाएणं॥
मु,क,जे ७४ हही अ
जे १.१ पह इह नि' क
°य विमलं समथ क ७६ हस्स गणहरो परमो : १.२ एवं वीर ७८ सो पुण भों
१०२ पच्छा गोयमसामिणा उ क ७९ रवतीविदेहे
१०२ भूतिणा ७९ व पुरे तिय
१.२ सिस्साण णो मविऊण असेस १.५ इत्थे तमत्थं रणं कम्म संघाय । सु ख १०६ जो नेहपणइणीहिं
संकई सुणे जे १.६ हि ललिय नो ८२ अभिव देइ सुरवरो , विणयगतो । ८३ चेइयहराति ख १०६ °न्तो यन
चेइयघराई क १०६ वञ्चिहइ ८६ सत्तरस सह मु,जे १०६ वञ्चिहिति स्रोव वि ख
५० असा
जे
सम
गयाण सकिउण्णवं सम
महप्पातढि ५४ धितीया
'हाए । फारे उत्ता जे
सावयागिणे ५. चविहाहार क,ख ५९ कयादी ९ सुन्दरिम " सुरेंदो
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