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________________ परिशिष्ट ६ देश्य और अनुकरणात्मक शब्द देश्य शब्द चडक = शस्त्रविशेष ७.२९: ८.९८,२४४२६. धाह% पूकार ५३.८८ प्रथम देशी शब्दों की सूची है । उनके धाहाविय = पूत्कृत ५.२३९ सामने उनका अर्थ दिया गया है। कोष्ठक चडयर - समूह २.४८८ ८. १९६, २५७; पउत्थ प्रोषित ६.६६] १७.३:७९.३२ २२.१९; ७९ १३,९०.१५; ( में संस्कृत शब्द हैं जिनसे देशी पडिउंचण = प्रतिकार ११.३८५४ १९८७.३ १०३.१६७,१०४.१५ शब्द बनने की संभावना है । कोष्ठक [ ] पम्भार = गिरिगुहा [६६६] ८९ १४ चुपालय = गवाक्ष [३ १७] २६.८० में हेमचन्द्र कृत 'देशी नाममाला' के अध्याय छित्त % (स्पृष्ट) [३.२७] ४८.८५ पययं = अनिशम् [६.६] ११८८४ व सूत्र का निर्देश है । अंतिम अंक 'पउम परद्ध - पीडित (आराद्ध) [६.७०] ५.७६; जगडिजत = कलहयुक्त [३.४ ४] ८२.९,८६.२४ चरियं' के पर्व व गाथा की संख्या बतलाते हैं। ६.१०४७.३४ झसर - शस्त्रविशेष ८.९५:५०.१२:५२.१५: अडयणा = असती (अ) [११८] ७७.७४ ५३.८२, ५९.३९:६१.५: पसय% मृगविशेष [६.४ ] ७.४; १६.५७; अणोरपार = अतिविस्तीर्ण १७.२९ ७१२३७३.२५,८६.४५ २६.८४, २८.१२१: ७..४५ आइंग = वाद्यविशेष ३.८७,९६.६ जंगल = चञ्चु ४४.४० पावय = वाद्यविशेष ५७.२३ आयलय = चंचल [१ ७५] ६ १६२९८.१८९; णडिअ = वंचित, खेदित [४.१८] ३.१२५: पेल्लिभ = पीडित [६.५७] ९६.३७ १२.१५१८,२४.१५:३३. २१.६०:४६.१६:१०३ फुप्फुस - उद वर्ती अन्त्रविशेष २६५४ ६६:५२ १९:५३३० ६८,९३:१०६.४० बइल = बलीद [६.९१] ९९२५:११५.१५ उरिपन्थ = कुपित [१.२९] ८.१७५: ९.६५ णिक्खुत्त- निश्चित ७८४,१८.३८:५३.१३८: बलय = बलीवई ८०.१३ १२८७ ५५.१०६५.५:६७.४३; मग्गअ = पश्चात् [६.१११] ४५.४ उल्लोल = कोलाहल १६.३६ ८७.५:९५.६५,१०५.६९ मंडंब = ग्रामविशेष २.२ ओलइय - अंगे पिनद्धम् [१.१६२] ६.१७५ णियडि = दम्भ (निकृति) [४.२६] १४.२६ माय - वृक्षविशेष ५३७९ औसुद्धं = विनिपतितम् [१.१५७] २६.५६ णियय - शाश्वतम् (नियतम् ) [४४८]३१. मुसुति -प्रहरणविशेष २६.५६:१०२८२ ओहामिय = स्थगितम् १९.६ कजव = विष्टा [२.११J१३४ ५३; ४७ ५:६३.९;६४.९: मुहल = मुख [६ १३४] ६६.. ६९,२३;८२ ८६:९४.१४; मेंठ = हस्तिपक [६.१३८] ७१.२९ कडिल्ल = वन [२.५२] २४५ कणय = इषु [२.५६] २.२५:१०२.८२ ११३.१०:११८.२६,९३, रि? = काक (अरिष्ट) [७.६] ७.१७,१०५. १००,११४ कयार - तृणाद्युत्का [२.११] १३.४८०.३१%; ८४.१० तत्ति - तत्परता [५.२०] ७.८७; ३३.१०२: वय - भाजनविशेष १०२.१२० किणइय = शोभमान [२.३० किण्ग] ६२.९ ४८.११७,५३.२३, ९८. वाप्पण - क्षेत्र (वप्र) [७८५] २.१२:४२.३३ केयरी - वृक्षविशेष ४२.९ ५२:१००.४१ वापीह = चातक [७ ३३:७.४०] ११.११७; कोल्हुय % भगाल [२.६५] ७.१७७८.७९; तत्तिल = तत्पर [५.३] १.२६:२.६, ६४ १२: तत्तिल - तपास २९.४३ ६५.२६:१०५.४२.४४ ९४ १५:१०३.१४९ वव्वीस = वाद्यविशेष ११३.११ गडा - खड्डा खानिः (खन्, खात)[२.६६]८८.५ तलिच्छ - तत्पर (तत् + लिप्स) [५.३] वारिज - विवाह (वृ, वाय [७५५] १५.६; गणित्तिया = अक्षमाला (गण् [२.८१ गणेत्ती] १.१२:७:८३:११.६७ २१.४५: ११.३९ तिसरिय = वाद्यविशेष ७०.५८:९६.४४:१०२. विच्छ - निवह (विच्छद)[७ ३२] ६.१०३: गरुलिया = खलूरिका = शस्त्रविद्याभ्यासस्थल १२३:११३११ ८८.२५ १२.१०७, २६ ५४:६३. तुडि आ = आभरण-विशेष ८१.१०४ गामउड -६६८ ग्रामप्रधान (ग्रामीण, ग्राम ३६,७२.२५, ९९.६२,७१ __ कूट) [२.८९] ६६.८ दोर - स्त्र [५३८] ८.१०८ १००.६.१०५५५:१०७.११ गोज - गायक ८५१९ धणियं = गाढम् (५.५८] २८३५:२९.२१: विरिक = विदारित [७६४] ८.११८, १२. चच्चिक = मंडित (चचिका) [३.४] ३१०५; ३६.२२:४२.२२; १४.६, १२५,४५.३२,६१.२३ १२. ११८,२८.२८:४३. ६२, ५२. २२, ७०.५६ वुण्ण = उद्विग्न, भीत [७.९४] १७.७८: ६३. २५:७२.२७,१११.२६ १०२.१३७.१७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001273
Book TitlePaumchariyam Part 2
Original Sutra AuthorVimalsuri
AuthorPunyavijay, Harman
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2005
Total Pages406
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, & Jain Ramayan
File Size11 MB
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