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________________ ૪૨ २. प्रथम परिशिष्ट के वर्ग-विशेष सील पियरूव पियविग्गह पीइंकर पीईकर पुण्णचंद सीहकडि सीहणाय सीहरव सीहरह अरिदमण आइचजस इंदजुइण्ण उइअपरकम उदयरह ककुह कमलबंधु कित्तिधर बन्बर बल बलि मयणकुस मयरद्धअ मयरह मयारिदमण महाइंद महाबल महाविरिअ महिंदविकम मियंक रघुस रविते रहनिग्घोस राम कुंथु वग्ध वग्धविलंबि वजंसू वजदंत वजोयर वसभ वायायण विकल विग्ध विग्घसूयण विजअ विज्जुनयण विज्जुक्यण वियड विसाल वीवसंत वेलक्ख संकड संगाम संताव संतास सुणंद सुपुण्णचंद सुविहि सुसार सुसेण सुसेल सूर हिमंग (३) विद्याधर अद्दिपंजर उग्ग केसरि घणमालि जलहर अलियक्ख तडिपिंग बाल भाणु भीम भीमरह भूयनिणा भूसण मइंददमण मंडल मंदर मंदरमालि मणहरण मणुरण मत्त मद्द मयर मयारिदमण मरुवाह महसुह महाबल महारह मेहकंत कुबेरदत्त कुस (सु)कोसल गरुडंक चउम्मुह चंद जसरह तावण सुबल सुभद सूर सोदास सोमित्ती हरिणाह हिरण्णगम्भ हिरण्णमाभ हेमरह स्त्री अवराइआ इंदुमई उज्जुबई कइगई, केकई, केगई कंता कणयमाला कणयाभा कमलमई कल्लाणमाला कुबेरी केकई केगया, सुमित्ता. सोमित्ती गुणमई गुणसमुद्दा चंदकंता चंदणा चंदसुही चंदलेहा जियपउमा सहल पवणवेग मयंक महोदहि मियंक सिहि (२७) राजपरिवार (१) इक्ष्वाकु राघव लक्खण वज्जबाहु वसंततिल वसह वसह केउ वसुबल विजअ विभु विरह वीरसुसेण संभू सत्तुंज सत्तरघ-ण सरह सम्वकित्ति ससिपह ससिरह सायरभा सिरिधर सीहजस सीहदय सीहरह सीहवाह सीहसोदास सुकोसल सुपासकित्ति तेयस्सि दसरह दासरही घरण नघुस पउम पउमरह पटिवयण पभु पभूयतेय पयावि पुंजस्थल पुरंदर पुहईतिल बंभरह बलभद बालचंद बाहुबलि भरह भुयबलपरकम मंगलनिलम मंधाम मयण नंदा सपक्ख समाण समाहि समाहिबहुल सम्मे सरह सल्ल सबदसरह सव्वदुट्ठ सम्वपिय सब्बसार ससिमंडल ससिवद्धण सागर सायर सायरघोस सार साल साहुवच्छल पुरुष रविवद्धण रणचंद रयण रवि रविजोड रविमाण रहयंद राभ. लुदनाम कोल अइविरिण अंकुस अजिअ अज्जुणविक्ख अणंतलवण अगंतरह नलकुन्दरी पउमावई पहावई पुहईदेवी बंधुमई भाणुमई मणोहरा रइनिहा रइमाला रयणमई अणरण अमियबल कच्छो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001273
Book TitlePaumchariyam Part 2
Original Sutra AuthorVimalsuri
AuthorPunyavijay, Harman
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2005
Total Pages406
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, & Jain Ramayan
File Size11 MB
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