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हरिवंशपुराणे
मध्यम सिंहनिष्क्रीडित
११२२३३४४५५६६७७८८
८८७७६६५५४४३३२२११ ११११११११११११११११
उत्कृष्टसिंहनिष्क्रोडिति
११११११११११११ ११ ११ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ १ . ११२२३ ३ ४ ४५५६६७७८८९९ १० १० ११ ११ १२ १२ १३ १३ १४ १४ १५ १५ ॥
.१५ १५ १४१४१३ १३ १२ १२ १११११०१०९९८८७७६६ ५ ५ ४ ४ ३ ३ २२११
सिंहनिष्कीडित व्रतमें कल्पना यह है कि जिस प्रकार सिंह किसी पर्वतपर क्रम-क्रमसे चढ़ता हुआ उसके शिखर पर पहुंचता है, बादमें क्रम-क्रमसे नीचे उतरता है उसी प्रकार मुनिराज क्रम-क्रमसे उपवास करते हुए तपरूपी पवंतके शिखर चढ़ते हैं और उसके बाद क्रम-क्रमसे नीचे उतरते हैं।
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