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________________ अहिंसा का युगसापेक्ष महत्त्व १५३ ईसाईधर्म को उद्बोधन देते हुए महात्मा ईसा ने कहा है-"तू तलवार म्यान में रख ले, क्योंकि जो लोग तलवार चलाते हैं, वे सब तलवार से ही नाश किए जाएंगे।" अन्यत्र भी उन्होंने कहा है-'तुम अपने दुश्मन को भी प्यार करो, और जो तुम्हें सताते हैं, उनके लिए भी प्रार्थना करो। यदि तुम उन्हीं से प्रेम करो, जो तुमसे प्रेम करते हैं, तो तुमने कौन मार्के की बात की ?' यहदीधर्म में कहा है--किसी आदमी के आत्म-सम्मान को चोट नहीं पहुँचानी चाहिए। लोगों के सामने किसी आदमी को अपमानित करना उतना ही बड़ा पाप है, जितना कि उसका खून कर देना। प्राणिमात्र के प्रति निर्वैरभाव रखने की प्रेरणा देते हुए यह कहा है कि-'अपने मन में किसी के प्रति वैर या दुर्भाव मत रखो।' पारसीधर्म के महान् प्रवर्तक महात्मा जरथ स्त का कथन है कि-'जो सबसे अच्छे प्रकार की जिन्दगी गुजारने से लोगों को रोकते हैं, अटकाते हैं और पशुओं को मारने की सिफारिश करते हैं, उनको अहुरमज्द बुरा समझते हैं।' ताओधर्म के महान् नेता--लाओत्से का संदेश है कि जो लोग मेरे प्रति अच्छा व्यवहार नहीं करते, उनके प्रति भी मैं अच्छा व्यवहार करता हूँ। कांगफ्फूत्सी ने कनफ्यूशियस धर्म का प्रवर्तन करते हुए कहा था-"जो चीज तुम्हें नापसंद है, वह दूसरों के लिए हर्गिज मत करो।" कहने का तात्पर्य यह है कि विश्व का कौन-सा धर्म है जो खूरेजी को दाद देता हो ? प्रायः सभी ने एकस्वर से प्राणिरक्षा, प्राणिमैत्री एवं आत्मक्त् सर्वभूतेषु का सन्देश दिया है। किन्तु खेद की बात है कि आज विश्व आँख मूंद कर भयंकर हिंसा को प्रश्रय दे रहा है । लाखों ही निरपराध व्यक्ति गाजर-मूली की तरह काटकर समाप्त किए जा रहे हैं। किसी की आँखें निकाली जा रही हैं, तो किसी के हाथ-पैर काटे जा रहे हैं । किसी को संगीनों पर उछाला जा रहा है, तो किसी को जिन्दा ही जलाया जा रहा है। घायलों की मौतक चीत्कारे दिल को दहला देती हैं। हजारों घर लूटे जा रहे हैं, जलाये जा रहे हैं । मौत नंगी हो कर नाच रही है । कुमारी कन्याओं एवं सती-सुहागिनों के साथ खुले आम बलात्कार किए जाते हैं-जिसे देख कर शर्म की आँखें भी शर्म से नीचे झुक जाती हैं और फिर उन्हें गोलियों से भून दिया जाता है, छातियाँ काट डाली जाती हैं, गुप्तांगों में संगीने भोंक दी जाती हैं । और कुछ सुन्दरियों को बन्दी बना कर बेच भी दिया जाता है । इन्सान इन्सान नहीं रहा है, शैतान हो गया है, शैतान से भी बदतर ! सामूहिक रूप से अहिंसक प्रतीकार की आवश्यकता आज के उक्त अमानवीय पैशाचिक कुकृत्यों को देखने के लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है । भारत के ही निकट पड़ोसी बांगलादेश में, पाकिस्तान के क्रूर एवं हृदयहीन शासकों के हुक्म पर नित्यप्रति हो रहे उक्त कुकृत्यों को देखा जा सकता है । सैनिक पागल हो गए हैं । लगता है उनमें मानवता का कुछ भी अंश नहीं बचा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001265
Book TitleAhimsa Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1976
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size22 MB
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