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आदर्श क्षमा
सेठ सुदर्शन अपने पथ पर,
अटल अचल
दुःख - सिन्धु से पार हुए,
सोल्लास रहे ।
चहुँ ओर सौख्य के स्रोत बहे ||
स्वर्गोपम सुख पूर्ण सदन में, सुखी सपरिजन
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रहते
अब तत्पर सब दिन रहते हैं ॥
धर्म ध्यान में अधिकाधिक,
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